जब जुनैद का परिवार ईद नहीं मना सका तो मैं दीवाली कैसे मनाऊं?

दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर लिखती हैं, ‘मेरे लिए महज एक हिंदू होने से ज़्यादा ज़रूरी इंसान होना है. इस साल दीवाली पर मेरे घर में तो अंधेरा रहेगा, लेकिन मेरे मन का कोई कोना ज़रूर रोशन होगा.’

मोदी मुझसे बड़े अभिनेता, मैं अपने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार उन्हें देना चाहता हूं: प्रकाश राज

बाद में अभिनेता ने कहा, ‘मैं मूर्ख नहीं हूं कि ख़ुद को मिले राष्ट्रीय पुरस्कार लौटा दूं. यह मुझे मेरे काम की वजह से मिला है और मुझे इस पर गर्व है.’

मीडिया बोल, एपिसोड 14: पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या और सियासत

मीडिया बोल की उर्मिलेश, वरिष्ठ पत्रकार अक्षय मुकुल और पत्रकार नेहा दीक्षित के साथ गौरी लंकेश की हत्या पर सियासत और उसके मीडिया कवरेज पर चर्चा कर रहे हैं.

हत्यारों की भीड़ इस देश की नुमाइंदगी नहीं करती

अंग्रेज़ी प्रभावशाली भाषा है, मगर इसकी पहुंच सीमित है. क्षेत्रीय भाषाओं के पत्रकार असली असर पैदा कर सकते हैं. छोटे शहरों के ऐसे कई साहसी पत्रकार हैं, जिन्होंने अपने साहस की क़ीमत अपनी जान देकर चुकाई है.

फ़र्ज़ी ट्वीट कर परेश रावल ने कराई फ़ज़ीहत, मांगी माफ़ी

भाजपा सांसद ने लिखा, ‘मुंबई ताज हमले में शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन बेंगलुरु से हैं. उन्हें राज्य सरकार द्वारा 21 बंदूकों की सलामी नहीं दी गई!’

गौरी लंकेश की हत्या के बाद 25 प्रगतिशील विचारकों और लेखकों को मिली सुरक्षा

वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के बाद कर्नाटक सरकार ने प्रगतिशील विचारों के 25 लेखकों, साहित्यकारों और विचारकों को सुरक्षा प्रदान की है.

क्या मोदी प्रधानमंत्री की जगह ट्रोल्स के सरदार बनते जा रहे हैं?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गाली-गलौज करने वाले ट्विटर हैंडल्स को फॉलो करने पर कई बार सवाल उठाए गए हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.

गौरी लंकेश मामले पर बोले एआर रहमान: यह मेरा भारत नहीं है

वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के चार दिन बाद भी नहीं मिला कोई सुराग, कांग्रेस-भाजपा में छिड़ी तकरार, राज्य ने केंद्र को रिपोर्ट भेजी.

भाजपा ने देश में सांप्रदायिकता और नफ़रत का जिन्न छोड़ दिया है

आम आदमी पार्टी से जुड़े आशीष खेतान का कहना है, यूपीए सरकार भले ही अयोग्य रही हो, वह इन समूहों की विचारधारा से इत्तेफ़ाक नहीं रखती थी, लेकिन वर्तमान सत्ता को इन्हीं समूहों से समर्थन मिलता है.

जन गण मन की बात, एपिसोड 115: पत्रकारों की हत्या और रघुराम राजन

जन गण मन की बात की 115वीं कड़ी में विनोद दुआ पत्रकारों की हत्या व उन पर हो रहे हमले और आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की किताब पर चर्चा कर रहे हैं.

ये जो भक्त हैं, ये उन्हीं का वक़्त है

वे हत्या के पक्ष में दलीलें देने लगे. वे हत्यारों को बधाइयां देने लगे. उन्होंने गौरी लंकेश की हत्या को सिर्फ जायज़ नहीं ठहराया. वे हत्या के बाद ठंडी पड़ चुकी उस लाश को गालियां देने लगे. जैसे वे उस पर और गोलियां चलाना चाहते हों.

गौरी लंकेश जैसी हत्याएं जारी रहेंगी क्योंकि हत्यारों को पता है कि उन्हें माफ़ कर दिया जाएगा

गौरी की हत्या एक चेतावनी है. हत्यारों को पता है कि वे सुरक्षित हैं. वे बेखौफ़ होकर अपना काम करते रहेंगे.