पुस्तक समीक्षा: जेएनयू प्रोफेसर ब्रह्म प्रकाश की किताब 'बॉडी ऑन द बैरिकेड्स- लाइफ, आर्ट एंड रेसिस्टेंस इन कंटेंपररी इंडिया’ पन्ना-दर-पन्ना समझाती है कि फासीवाद के इस दौर में कभी भूमि सुधार की मांग करने वाले लोग अब राज्य द्वारा उनके घरों पर बुलडोजर चलाने के आपराधिक कृत्य का विरोध तक नहीं कर पा रहे हैं.
भारतीय क्रिकेट टीम के एकमात्र मुस्लिम खिलाड़ी के समर्थन में साथी खिलाड़ियों के वक्तव्यों की एक सीमा थी, वे उन्हें इस प्रसंग को भूल जाने और अगले मैच में अपनी कला का जौहर दिखाने के लिए ललकार रहे थे, पर किसी ने भी इस पर मुंह नहीं खोला कि पूरे मुल्क में एक समुदाय के ख़िलाफ़ किस तरह ज़हर फैलाया जा रहा है, जिसके निशाने पर अब कोई भी आ सकता है.
पिछले साल 25 मई को अमेरिका के मिनियापोलिस में अश्वेत अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की मौत उनके गले को श्वेत पुलिस अधिकारी डेरेक चॉविन द्वारा तक़रीबन नौ मिनट तक घुटने से दबाने के कारण मौत हो गई थी. यह फैसला ऐसे वक़्त में आया है, जब करीब एक साल की चुप्पी के बाद चॉविन ने फ्लॉयड के परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की और उम्मीद जताई कि आख़िरकार अब उनके मन को कुछ शांति मिलेगी.
इंग्लैंड की फुटबॉल टीम ने यूरो 2020 के दौरान 'ब्लैक लाइव्स मैटर' को समर्थन देने के लिए 'घुटनों पर बैठने' का निर्णय लिया है. खेल जगत के तमाम महानायक और मनोरंजन जगत के सम्राट, जो संवेदनशील मुद्दों पर मौन रहना चुनते हैं, शायद इंग्लैंड की टीम से कुछ सीख ले सकते हैं.
पिछले साल 25 मई को अमेरिका के मिनियापोलिस में अश्वेत अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की मौत उनके गले को श्वेत पुलिस अधिकारी डेरेक चॉविन द्वारा तक़रीबन नौ मिनट तक घुटने से दबाने के कारण मौत हो गई थी. इस दौरान फ्लॉयड बार-बार कहते रहे थे कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है, लेकिन पुलिसकर्मी नहीं माना. फ्लॉयड की निर्मम मौत से देशभर में हिंसक प्रदर्शन हुए थे.
पुलिस की बर्बरता से हम सभी को फ़र्क़ पड़ना चाहिए, भले ही निजी तौर पर हमारे साथ ऐसा न हुआ हो. ये हमारी व्यवस्था का ऐसा हिस्सा बन चुका है, जिसे बदलना चाहिए और पूरी ताक़त से मिलकर ज़ाहिर की गई जनभावना ही ऐसा कर सकती है.
अफ्रीकी-अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के ख़िलाफ़ भड़के राष्ट्रव्यापी प्रदर्शनों के दौरान दो-तीन जून की दरम्यानी रात यह घटना हुई. भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने इसकी शिकायत स्थानीय प्रशासन से की है.
जब विरोध होता है तो व्यवस्था की ओर से उपदेश दिया जाता है कि संवाद की स्थितियां बनानी चाहिए. यह बोझ भी प्रदर्शनकारियों पर ही डाल दिया जाता है कि वे संवाद कायम करें. क्या शोषण तर्क और संवाद के सहारे चलता है? विरोध से अराजकता फैलने का आरोप लगाते समय लोग भूल जाते हैं कि जो विरोध करने को बाध्य हुए हैं, उनके जीवन में अराजकता के अलावा शायद ही कुछ है.
वीडियो: बीती 25 मई को अमेरिका के मिनीपोलिस में एक पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन ने अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड के गले को घुटनों से कई मिनट तक दबाए रखा था, जिसके चलते उनकी मौत हो गई थी. घटना के बाद से नस्लभेद के ख़िलाफ़ अमेरिका सहित विभिन्न देशों में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. इस मुद्दे पर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
बीती 25 मई को अमेरिका के मिनीपोलिस में एक पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन ने अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड के गले को घुटनों से कई मिनट तक दबाए रखा था, जिसके चलते उनकी मौत हो गई थी. इस घटना के बाद से नस्लभेद के ख़िलाफ़ अमेरिका सहित विभिन्न देशों में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.
बीती 25 मई को अमेरिका के मिनीपोलिस अश्वेत अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड के गले को श्वेत पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन द्वारा आठ मिनट तक घुटने से दबाने के कारण मौत हो गई थी. फ्लॉयड की मौत के विरोध में अमेरिका के कई शहरों लॉकडाउन के बीच हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.