फिल्म नाम से ‘चिट्ठी आई है’, मोहरा फिल्म से ‘ना कजरे की धार’, ‘चांदी जैसा रंग है तेरा’, ‘एक तरफ़ उसका घर’ और ‘आहिस्ता’ जैसी यादगार ग़ज़लों के लिए प्रसिद्ध पंकज उधास अपनी मख़मली आवाज़ के लिए जाने जाते थे. उनका पहला ग़ज़ल एलबम ‘आहट’ साल 1980 में आया था. 2006 में उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
ग़ज़ल गायक भूपिंदर सिंह का मुंबई के एक अस्पताल में संदिग्ध तौर पर पेट के कैंसर और कोविड-19 से संबंधित समस्याओं के कारण निधन हो गया. पांच दशक के लंबे करिअर में उन्होंने ‘दिल ढूंढता है’, ‘नाम गुम जाएगा’, ‘थोड़ी सी जमीन थोड़ा आसमान’, दो दीवाने शहर में, किसी नज़र को तेरा इंतज़ार, किसी को मुकम्मल जहां, जैसे कई प्रसिद्ध गीतों को अपनी आवाज़ दी थी.