ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तिरे ऊपर निसार…

19 दिसंबर, 1927 को ब्रिटिश सरकार ने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के तीन क्रांतिकारियों- रामप्रसाद ‘बिस्मिल’, अशफ़ाक़ उल्ला खां और रोशन सिंह को क्रमशः गोरखपुर, फ़ैज़ाबाद और इलाहाबाद की जेलों में फांसी दी थी.

अवध के पूर्वी द्वार की ‘कभी ज़मीं, कभी आसमां नहीं मिलता’ वाली नियति कब बदलेगी?

अवध की बलरामपुर रियासत गंगा-जमुनी तहज़ीब का पूर्वी द्वार कही जाती थी. 1997 में कुछ क्षेत्रों को मिलाकर इसे ज़िला बनाया गया तो रहवासियों ने विकास के सपने देखे. पर अब हाल यह है कि 2021 में नीति आयोग द्वारा जारी राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक में यह देश का सबसे बुरा प्रदर्शन करने वाला चौथा ज़िला रहा.

उत्तर प्रदेश: भाजपा सांसद ने कहा- बाढ़ के प्रति इतना ख़राब इंतज़ाम नहीं देखा, लोग भगवान भरोसे हैं

उत्तर प्रदेश के कैसरगंज से भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह एक वायरल वीडियो में कथित तौर पर मीडिया से बात करते हुए यह कहते हुए देखे जा सकते हैं कि बाढ़ के प्रति मैंने अपने जीवन में इतना ख़राब इंतज़ाम पहले कभी नहीं देखा है. लेकिन, बोलना बंद है. बोलोगे तो बागी कहलाओगे.

उत्तर प्रदेश: पूछताछ के लिए थाने बुलाए गए शख़्स की मौत, प्रभारी निरीक्षक पर हत्या का केस दर्ज

गोंडा ज़िले में हत्या के एक मामले में पूछताछ के लिए नवाबगंज थाने बुलाए गए एक युवक की पुलिस हिरासत में संदिग्ध हालात में मौत हो गई. युवक के परिजनों ने प्रभारी निरीक्षक पर हत्या का आरोप लगाया है. इस बीच उन्हें निलंबित कर दिया गया है.

उत्तर प्रदेश: गांव गए फ़कीरों से अभद्रता का वीडियो सामने आया, युवक ने उन्हें ‘जिहादी-आतंकी’ कहा

उत्तर प्रदेश के गोंडा ज़िले का मामला. पुलिस ने बताया कि तीन फ़कीरों से अभद्रता के मामले में एक व्यक्ति को गिरफ़्तार किया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि इस तथ्य की भी जानकारी की जा रही है कि ये तीनों फ़कीर कौन लोग थे और किस कारण से उस ग्रामसभा में गए थे.

उत्तर प्रदेश: रैली में राजनाथ सिंह को नौकरी को लेकर नाराज़ युवाओं के नारों का सामना करना पड़ा

उत्तर प्रदेश के गोंडा ज़िले में केद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एक चुनावी रैली का संबोधित कर रहे थे, जब सेना में नौकरी तलाश रहे नाराज़ युवाओं ने नारेबाज़ी की. राजनाथ सिंह ने युवाओं को शांत कराते हुए भर्ती का आश्वासन दिया और फ़िर भारत माता की जय के नारे लगाने का आग्रह किया.

राजेंद्रनाथ लाहिड़ी: वो क्रांतिकारी, जिन्हें विश्वास था कि उनकी शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी…

पुण्यतिथि विशेष: अगस्त 1925 में अंग्रेज़ों का ख़ज़ाना लूटने वाले क्रांतिकारियों में से एक राजेंद्रनाथ लाहिड़ी भी थे. 1927 में इंसाफ़ के सारे तक़ाज़ों को धता बताते हुए अंग्रेज़ों ने उन्हें तयशुदा दिन से दो रोज़ पहले इसलिए फांसी दे दी थी कि उन्हें डर था कि गोंडा की जेल में बंद लाहिड़ी को उनके क्रांतिकारी साथी छुड़ा ले जाएंगे.

उत्तर प्रदेशः गोंडा में तीन नाबालिग दलित बहनों पर एसिड अटैक

घटना गोंडा ज़िले के परसपुर थाना क्षेत्र की है. तीनों बहनों को गोंडा ज़िला अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उनकी हालत स्थिर है. पुलिस ने अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है.

उत्तर प्रदेश: बछड़े को निकालने के लिए कुएं में उतरे पांच लोगों की ज़हरीली गैस से मौत

उत्तर प्रदेश के गोंडा ज़िले की शहर कोतवाली स्थित महाराजगंज मोहल्ले का मामला. पांच मृतकों में से चार एक ही परिवार के सदस्य थे.

जो न बोले जय श्री राम… गीत के गायक और गीतकार समेत चार गिरफ़्तार

लखनऊ पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किए गए गायक वरुण बहार ने ‘जो न बोले जय श्री राम, उसको भेजो कब्रिस्तान’ नाम का एक विवादास्पद गीत गाया है, जिसके बाद उनके ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की गई थी.

‘जितने हरामखोर थे कुर्बो-जवार में, परधान बन के आ गए अगली कतार में’

हिंदी कविता में जब कुछ बड़े कवियों की धूम मची थी, अदम गोंडवी अपने श्रोताओं और पाठकों को गांवों की उन तंग गलियों में ले गए जहां जीवन उत्पीड़न का शिकार हो रहा था.

गोंडा की घटना बताती है कि सांप्रदायिकता का ज़हर अब गांवों में भी फैल रहा है

पिछले दो-तीन दशकों में ‘सांप्रदायिक चेतना का ग्रामीणीकरण’ हुआ है. परंपरागत भारतीय समाज में हमारे बुज़ुर्गों ने सांप्रदायिकता से निपटने के लिए अपनी एक प्रणाली विकसित की थी.

योग के शोर के बीच महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि उपेक्षा की शिकार है

जब पूरे देश में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की तैयारी चल रही है, योग सूत्र और महाभाष्य के प्रणेता महर्षि पतंजति की जन्मभूमि को कोई पूछने वाला नहीं है. उत्तर प्रदेश के गोंडा ज़िले के कोंडर गांव में स्थित पतंजलि की जन्मभूमि उपेक्षा की शिकार है.

केंद्र द्वारा स्वच्छ शहर चुने जाने की प्रक्रिया ग़लत: सीएसई

पर्यावरण पर काम कर रहे इस संगठन के अनुसार स्वच्छता सर्वेक्षण में शीर्ष पर आए शहरों ने कचरा प्रबंधन के जिन तरीकों को अपनाया है, वे पर्यावरण के अनुकूल नहीं है.