राज्य के प्रमुख सचिव ने कहा, चंद रोज पहले से डॉ. कफील खान जिन बिंदुओं पर क्लीन चिट मिलने का दावा कर रहे हैं, उन बिंदुओं पर जांच अभी पूरी भी नहीं हुई है. इसलिए क्लीन चिट की बात बेमानी है.
यह मामला उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित बीआरडी मेडिकल अस्पताल का है, जहां अगस्त 2017 में कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी से एक हफ्ते में 60 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी. इस मामले में डॉ. कफ़ील ख़ान को दोषी ठहराया गया था.
सोमवार को मुज़फ़्फ़रपुर दौरे पर पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कई योजनाओं की घोषणा की, तो उन्हें 2014 में की गई घोषणाओं के बारे में ध्यान दिलाया गया, जिस पर वह असहज हो गए. दरअसल वे पांच साल पूर्व की गई अपनी ही घोषणाएं फिर से दोहरा रहे थे जो अब तक या तो अमल में ही नहीं आ सकी हैं या आधी-अधूरी हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार यदि इंसेफलाइटिस से मौतों में कमी आने का दावा कर रही है तो उसे पिछले पांच वर्षों का अगस्त महीने तक गोरखपुर स्थित बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मरीजों की संख्या और मौतों की रिपोर्ट जारी करनी चाहिए.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का कहना है कि बीआरडी अस्पताल में बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई थी.
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में साल 2017 में छह महीनों में 1,201 बच्चों की मौत हुई थी. दोनों वर्ष के आंकड़ों से पता चलता है कि नियोनेटल डेथ में कमी आई है जबकि इंसेफलाइटिस से बच्चों की मौत बढ़ गई है.
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अव्यवस्थाओं का दौर जारी है. अगस्त महीने में बच्चों की मौतों को स्वभाविक बताने वाले यूपी सरकार के मंत्री अब इस बारे में चुप्पी साध गए हैं.
मेडिकल जर्नल ‘लैंसेट’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 में पांच वर्ष से कम आयु के 9 लाख बच्चों की मृत्यु भारत में हुई जो दुनिया में सबसे ज़्यादा है.
बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में जनवरी से अब तक कुल 1256 बच्चों की मौत हो चुकी है.
योगी आदित्यनाथ बोले, 'कहीं ऐसा ना हो कि लोग अपने बच्चों के दो साल के होते ही सरकार के भरोसे छोड़ दें कि सरकार उनका पालन पोषण करे.'
जब मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी की ख़बरें छप रही थीं, उसी दौरान मुख्यमंत्री, कमिश्नर, डीएम, चिकित्सा सचिव, स्वास्थ्य सचिव सबका दौरा हुआ. क्या बड़े लोगों को बचाया जा रहा है?
67 बच्चों की मौत के मामले में उच्च स्तरीय समिति ने की थी आपराधिक कार्रवाई की सिफ़ारिश.
जन्माष्टमी पर योगी आदित्यनाथ के बयान ने सोचने के लिए मजबूर कर दिया. कंस की याद आई जिसने अपनी बहन देवकी की सभी संतानों को मार डाला था.
कोर्ट ने कहा, 'ये घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, सही तथ्य सामने आने चाहिए, जिससे इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों. कोर्ट के आदेश से पहले मौत के कारणों पर सरकार का जवाब आना ज़रूरी है.'
गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 67 बच्चों की मौत पर एक तरफ हंगामा जारी है, दूसरी ओर पिछले तीन दिनों में 39 और बच्चों की मौत हो चुकी है.