बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में जनवरी से अब तक कुल 1256 बच्चों की मौत हो चुकी है.
योगी आदित्यनाथ बोले, 'कहीं ऐसा ना हो कि लोग अपने बच्चों के दो साल के होते ही सरकार के भरोसे छोड़ दें कि सरकार उनका पालन पोषण करे.'
जब मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी की ख़बरें छप रही थीं, उसी दौरान मुख्यमंत्री, कमिश्नर, डीएम, चिकित्सा सचिव, स्वास्थ्य सचिव सबका दौरा हुआ. क्या बड़े लोगों को बचाया जा रहा है?
67 बच्चों की मौत के मामले में उच्च स्तरीय समिति ने की थी आपराधिक कार्रवाई की सिफ़ारिश.
कोर्ट ने कहा, 'ये घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, सही तथ्य सामने आने चाहिए, जिससे इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों. कोर्ट के आदेश से पहले मौत के कारणों पर सरकार का जवाब आना ज़रूरी है.'
एक जीवंत लोकतंत्र में 60 से ज़्यादा बच्चों की मौत किसी राजनेता का करिअर ख़त्म कर सकता था, लेकिन भारत में ऐसा नहीं होता.
गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 67 बच्चों की मौत पर एक तरफ हंगामा जारी है, दूसरी ओर पिछले तीन दिनों में 39 और बच्चों की मौत हो चुकी है.
ग्राउंड रिपोर्ट: इंसेफलाइटिस पूर्वांचल का शोक बन चुका है लेकिन सरकारें व राजनीतिक पार्टियां इस पर मौन हैं.
कोर्ट ने राज्य सरकार को याचिकाकर्ताओं की संशोधित याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्त तय की है.
कोर्ट ने सरकार से सवाल किया कि मान लीजिए पुलिस ने चार लोगों के ख़िलाफ़ मजिस्ट्रेट के सामने चार्जशीट दाखिल कर दी है लेकिन आगे की कार्रवाई के लिए सरकार की अनुमति चाहिए, जो नहीं दी गई, तब क़ानूनन मजिस्ट्रेट क्या करे.
इंसेफलाइटिस से विकलांग मरीजों के इलाज व पुनर्वास लिए बने विभाग के 11 कर्मियों को 27 महीने से नहीं मिला वेतन, तीन चिकित्सकों और स्टेनोग्राफर ने नौकरी छोड़ी.
यूपी में सरकारों ने 2007 में हुए गोरखपुर दंगों में आदित्यनाथ की भूमिका की जांच को अटकाए रखा. हालांकि ऐसे तथ्य हैं, जिनके आधार पर कोर्ट चाहे तो मामले को दोबारा देखा जा सकता है.
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में चार महीने से 378 कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला.
गोरखपुर में एक अदद प्रेक्षागृह के लिए पिछले 24 वर्षों से अनूठे किस्म का रंग आंदोलन चलाया जा रहा था. 1258 नाटकों के बाद रंगाश्रम का यह रंग आंदोलन ख़त्म हो गया.
विशेष: उत्तर प्रदेश के बस्ती से सूरीनाम गए एक परिवार से ताल्लुक रखने वाले राजमोहन ने अपने पुरखे गिरमिटिया मज़दूरों जीवन-गाथा को संगीत में ढाला है.