साल 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2007 में गोरखपुर और आसपास के ज़िलों में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ हिंसा भड़काने के आरोप में अपने ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था.
वर्ष 2007 में दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोपों को लेकर तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ और अन्य लोगों के ख़िलाफ़ गोरखपुर के एक थाने में एफ़आईआर दर्ज की गई थी. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मुक़दमा चलाने से इनकार के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी के ख़िलाफ़ याचिका को ख़ारिज कर दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
निषादों को आरक्षण देने की मांग को लेकर साल 2015 में उत्तर प्रदेश में गोरखपुर शहर के सहजनवा क्षेत्र में हुए उग्र आंदोलन में संजय निषाद समेत 37 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था. इस दौरान पुलिस के साथ हुई झड़प के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई और 24 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे.
उत्तर प्रदेश में गोरखपुर शहर के गोरखनाथ क्षेत्र का मामला. महिला ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि कई बार शिकायत के बाद भी क़रीब दो महीने हो गए लेकिन आरोपी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज नहीं किया गया, जबकि आरोपी की शिकायत पर पैसे न चुकाने को लेकर उन पर केस दर्ज कर दिया गया है. पुलिस ने कहा कि महिला की शिकायत की जांच चल रही है, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले में तरकुलहा देवी का एक प्रसिद्ध मंदिर है. जनश्रुति है कि 1857 विद्रोह के नायक डुमरी रियासत के बाबू बंधू सिंह इसी स्थान से अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ गुरिल्ला संघर्ष छेड़े हुए थे. उन्होंने वर्तमान मंदिर के पास अंग्रेज़ों के सिर चढ़ाकर बलि की जो परंपरा शुरू की थी वह आज भी जारी है. ज़िले की सरकारी वेबसाइट के अनुसार, यह देश का इकलौता मंदिर है, जहां प्रसाद के रूप में मटन दिया जाता हैं.
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर ज़िले के शंकर पटखौली और महराजगंज ज़िले के सोहवल गांवों में प्रशासन की तरफ़ से अवैध क़ब्ज़े का आरोप लगाते हुए क़रीब 50 परिवारों को घर छोड़ने और हज़ारों रुपये का जुर्माना भरने को कहा गया है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ कथित अभद्र टिप्पणी करने वाले युवक की पहचान 19 साल अकरम अली के रूप में हुई. युवक ने 12 जून को अपने वॉट्सऐप स्टेटस पर मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ यह टिप्पणी पोस्ट की थी.
गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में 14-16 मई तक हुए सालाना कार्यक्रम 'टेक सृजन' में इंडोनेशिया की पाॅप सिंगर जुबैला का एक परफॉरमेंस हुआ था. 19 मई को एबीवीपी कार्यकर्ता इसे 'अश्लील' बताते हुए यूनिवर्सिटी पहुंचे, जहां छात्रों से विवाद के बाद दोनों पक्षों में मारपीट हुई, जिसमें कई लोग घायल हो गए. एबीवीपी की शिकायत पर दो शिक्षकों पर केस दर्ज किया गया है.
गोरखपुर और महराजगंज के जंगल में स्थित 23 वन ग्रामों के वनटांगियों को वन अधिकार क़ानून लागू होने के डेढ़ दशक और कड़े संघर्ष के बाद ज़मीन पर अधिकार मिला. लेकिन आज भी यहां विकास की रफ़्तार धीमी ही है.
गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर के द्वार पर रविवार को एक युवक ने धार्मिक नारे लगाते हुए मंदिर में घुसने की कोशिश की और सुरक्षा में तैनात दो पुलिसकर्मियों पर धारदार हथियार से हमला कर दिया था. युवक की पहचान अहमद मुर्तज़ा अब्बासी के रूप में हुई है जिसने आईआईटी मुंबई से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है.
गोरखपुर ज़िले में कुल नौ विधानसभा क्षेत्र- गोरखपुर शहर, गोरखपुर ग्रामीण, पिपराइच, कैंपियरगंज, सहजनवा, चौरीचौरा, बांसगांव, खजनी और चिल्लूपार आते हैं, जिनमें से आठ पर पिछले चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की थी. पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरे योगी आदित्यनाथ के सामने अपनी सीट के साथ इन्हें भी बचाने की चुनौती है.
गोरखपुर और बस्ती मंडल की कई विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों के प्रति मतदाताओं में उमड़ी हमदर्दी ने राजनीतिक दलों के बने-बनाए समीकरण उलट दिए हैं.
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में गोरखपुर से लेकर कुशीनगर, देवरिया, बस्ती का इलाका गन्ने की खेती के लिए जाना जाता है. गोरखपुर और बस्ती मंडल के कुल सात ज़िलों में कभी 28 चीनी मिलें हुआ करती थीं, लेकिन आज 16 मिलें बंद हैं. लोगों को उम्मीद थी कि डबल इंजन की सरकार पूर्वांचल की बंद चीनी मिलों को शुरू कर इलाके में खुशहाली लाएगी, लेकिन अभी तक यह संभव नहीं हो पाया है.
ग्राउंड रिपोर्ट: पूर्वी यूपी के गन्ना किसानों को उन्नत क़िस्म की प्रजाति मुहैया कराने, सूखा, जलभराव व ऊसर क्षेत्रों में उपयोगी प्रजातियों को विकसित करने जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए 1939 में गोरखपुर के कूड़ाघाट में गन्ना शोध केंद्र की स्थापना की गई. 2017 में केंद्र की ज़मीन एम्स बनाने के लिए देते हुए इसे पिपराइच स्थानांतरित कर दिया गया, लेकिन आज तक वहां शोध केंद्र की एक ईंट भी नहीं रखी गई है.
पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले में नौ विधानसभा क्षेत्र- गोरखपुर शहर, गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवा, पिपराइच, कैम्पियरगंज, चौरी चौरा, चिल्लूपार, बांसगांव और खजनी हैं. बांसगांव और खजनी क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इनमें से पांच- गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवा, पिपराइच, कैम्पियरगंज, चौरी चौरा में निषाद समुदाय की अच्छी-ख़ासी संख्या है. चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र में भी निषाद मतदाता ठीक-ठाक हैं.