अनुरा कुमारा दिसानायके श्रीलंका के बड़े राजनीति घरानों को हराकर जनता की पहली पसंद बने हैं. श्रीलंका के नए राष्ट्रपति श्रमिक वर्ग की पक्षधरता और राजनीतिक अभिजात वर्ग की तीखी आलोचना के लिए जाने जाते हैं.
'हम अडानी के हैं कौन' श्रृंखला के तहत तीन सवालों का 26वां सेट जारी करते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा कि श्रीलंका में सरकारों के बीच की परियोजनाओं के लिए अडानी समूह की पैरवी किस आधार पर की गई थी.
आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के देश छोड़ने और इस्तीफ़ा देने के बाद संसद ने कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को बुधवार को देश का नया राष्ट्रपति निर्वाचित किया. विक्रमसिंघे के ख़िलाफ़ भी बीते दिनों देश की जनता में काफी रोष देखा गया था, जिसके चलते उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़े का ऐलान कर दिया था.
श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने संसद में यह भी कहा कि भारत द्वारा उन्हें दी जाने वाली वित्तीय सहायता 'दान’ नहीं बल्कि क़र्ज़ है और इन ऋणों को चुकाने की योजना होनी चाहिए.
पिछले हफ़्ते सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के अध्यक्ष ने एक संसदीय समिति के सामने कहा था कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को मन्नार के एक पावर प्रोजेक्ट को अडानी समूह को देने को कहा था. इसके बाद उन्होंने बयान वापस ले लिया और अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया. अब लोगों ने अडानी समूह को परियोजना देने में पारदर्शिता की कमी पर सवाल उठाए हैं.
सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के अध्यक्ष एमएमसी फर्डिनेंडो ने शुक्रवार को एक संसदीय समिति के सामने कहा था कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को मन्नार के एक पावर प्रोजेक्ट को अडानी समूह को देने को कहा था. राष्ट्रपति के इससे इनकार के बाद उन्होंने बयान वापस ले लिया था.
एक संसदीय समिति ने एक सुनवाई के दौरान सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के प्रमुख से श्रीलंका के उत्तरी तट पर 500 मेगावाट का पवन ऊर्जा संयंत्र बनाने के लिए अडानी समूह को चुनने के बारे में सवाल किया था, जहां उन्होंने यह बयान दिया. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने प्रोजेक्ट को किसी व्यक्ति या समूह विशेष को देने की बात कहने से इनकार किया है. इसके बाद बोर्ड प्रमुख अपने बयान से मुकर गए.
श्रीलंकाई पुलिस ने नौ मई को सरकार विरोधी और सरकार समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच हुई हिंसक झड़पों के संबंध में अब तक कम से कम 1,500 लोगों को गिरफ़्तार किया है. इन झड़पों में कम से कम 10 लोगों की मौत हुई है. श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए सोमवार को आठ और मंत्रियों को इसमें शामिल किया है.
आर्थिक संकट के बुरे दौर से गुज़र रहे श्रीलंका में विपक्ष के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री 73 वर्षीय रानिल विक्रमसिंघे को देश के 26वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई है. कोलंबो में भारत के उच्चायोग कहा कि वह नई सरकार के साथ काम करने के लिए आशान्वित हैं. इस बीच एक अदालत ने बीते नौ मई को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने वाले महिंदा राजपक्षे, उनके सांसद बेटे नमल राजपक्षे और 15 अन्य लोगों के देश छोड़ने पर
श्रीलंका में चल रहे आर्थिक और राजनीतिक संकट के भारत के लिए कई व्यावसायिक प्रभाव हैं. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत इस अवसर का उपयोग उसके साथ अपने राजनयिक संबंधों को संभालने के लिए कर सकता है, जो श्रीलंका की चीन के साथ नज़दीकी के चलते प्रभावित हुए हैं.
आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में जनता द्वारा पिछले कई सप्ताह से राष्ट्रपति और सरकार के इस्तीफ़े की मांग के बीच एक बार फ़िर आपातकाल लागू करने का फैसला लिया गया है. हालांकि, इस्तीफे के बढ़ते दबाव के बावजूद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके बड़े भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने पद छोड़ने से इनकार कर दिया है.
श्रीलंका सरकार आर्थिक सहायता के लिए 11 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ बातचीत करने वाली है. वहीं, राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने सरकार के बचाव में कहा है कि विदेशी मुद्रा संकट उनका खड़ा किया हुआ नहीं है और आर्थिक मंदी का कारण महामारी है जिसने पर्यटन को प्रभावित किया.
श्रीलंका वर्तमान में ऐतिहासिक आर्थिक संकट से जूझ रहा है और ईंधन, रसोई गैस तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं के लिए लोगों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं. इसके ख़िलाफ़ देश में प्रदर्शन जारी हैं. आपातकाल की घोषणा उस समय की गई है, जब अदालत ने राष्ट्रपति आवास के सामने प्रदर्शन के लिए गिरफ़्तार प्रदर्शनकारियों के एक समूह को ज़मानत दे दी है.
श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की कमी के कारण ईंधन जैसे आवश्यक सामान की कमी हो गई है. देश में दिन में 13 घंटे तक बिजली गुल रहती है. इसके विरोध में बीते गुरुवार को राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के आवास के बाहर सैकड़ों प्रदर्शनकारी जमा हो गए और उनके इस्तीफ़े की मांग की थी. बाद में यह प्रदर्शन हिंसक हो गया था.
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश के तहत आपातकाल नियम-क़ानूनों को लागू किया है, जिसके ज़रिये सरकारी अधिकारियों को कारोबारियों द्वारा जमा कर रखे गए खाद्य भंडारों को ज़ब्त करने और आवश्यक खाद्य सामानों की जमाखोरी करने वालों को गिरफ़्तार करने की मंज़ूरी दी है.