कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: देश में घृणा, परस्पर अविश्वास, भेदभाव, अन्याय, झूठ, अफ़वाह सभी में अद्भुत विस्तार हुआ है. राजनीति, मीडिया, धर्म, सामाजिक आचरण सभी मर्यादाहीन होने में कोई संकोच नहीं करते. राजनीति की सर्वग्रासिता, सार्वजनिक ओछापन-टुच्चापन लगभग अनिवार्य माने जाने लगे हैं.
गोदरेज इंडस्ट्रीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक नादिर गोदरेज ने कहा, ‘मुझे लगता है कि देश को बांटना बंद कर इसे एकजुट करने की कोशिश करनी चाहिए. मुझे भरोसा है कि सरकार भी आर्थिक वृद्धि के लिए इसे ज़रूरी मानती है, हमें इस पर ध्यान देना चाहिए.’
'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' और 'सबका साथ-सबका विकास' सरीखे नारे देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने शासन में इस पर अमल करते नज़र नहीं आते हैं.
इस पद के लिए तीन पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को भी शॉर्टलिस्ट किया गया था, लेकिन इन सबको दरकिनार कर चयन समिति ने जस्टिस अरुण मिश्रा को तरजीह दी. पिछले साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट के जज के पद पर होते हुए भी उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ़ की थी, जिसके कारण उनकी आलोचना हुई थी कि वह किस हद तक सरकार के क़रीबी हैं.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अरुण मिश्रा ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसनीय दूरद्रष्टा और बहुमुखी प्रतिभा वाला ऐसा नेता बताया जिनकी सोच वैश्विक स्तर की है, लेकिन स्थानीय हितों को अनदेखा नहीं करते.
सुप्रीम कोर्ट में 'न्यायपालिका और बदलती दुनिया' विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन 2020 का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गांधीजी का जीवन सत्य और सेवा को समर्पित था, जो किसी भी न्यायतंत्र की नींव माने जाते हैं औ हमारे बापू खुद भी तो वकील थे.
जन गण मन की बात की 267वीं कड़ी में विनोद दुआ स्विस बैंक में भारतीयों के बढ़ते धन, निकी हेली की भारत यात्रा और मगहर में मोदी के भाषण पर चर्चा कर रहे हैं.