मध्य प्रदेश के अलीराजपुर में एक सरकारी कर्मचारी के ख़िलाफ़ एक वॉट्सऐप ग्रुप में कथित आपत्तिजनक संदेश फॉरवर्ड करने के लिए सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम 3 के तहत आरोप पत्र दायर किया गया था. अब हाईकोर्ट ने कहा है कि वॉट्सऐप ग्रुप में संदेश फॉरवर्ड करना नियम 3 के किसी भी प्रावधान के दायरे में नहीं आता.
भारतीय रेलवे की ओर से कहा गया है कि अधिकारी को अधिकारियों को बर्ख़ास्त करने के अलावा अलावा 139 अधिकारियों पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए दबाव डाला जा रहा है, जबकि 38 को हटा दिया गया है.
कोर्ट ने दो अंतरधार्मिक लिव-इन रिलेशनशिप मामलों की सुनवाई के दौरान कहा कि इसे सामाजिक नैतिकता के नज़रिये से नहीं, बल्कि भारत के संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जीवन जीने के अधिकार से मिली निजी स्वायत्तता के नज़रिये से देखा जाना चाहिए. दोनों मामलों में आरोप है कि लड़कियों के परिजन उनके दैनिक जीवन में हस्तक्षेप कर रहे हैं.
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के अध्यक्ष ने कहा कि क़रीब 500 या इससे अधिक लोगों ने बडगाम, अनंतनाग और पुलवामा जैसे इलाकों को छोड़कर जाना शुरू कर दिया है. कुछ ग़ैर कश्मीरी पंडित परिवार भी चले गए हैं. यह साल 1990 का दोहराव है. इस संबंध में हमने जून में उपराज्यपाल कार्यालय से मिलने का अनुरोध किया था, लेकिन अब तक वक़्त नहीं दिया गया. जम्मू कश्मीर में बीते छह दिनों में सात नागरिकों की हत्या हुई है.
याचिकाकर्ता के ख़िलाफ़ बर्ख़ास्तगी का आदेश इस आधार पर पारित किया गया था कि शादीशुदा होने के बावजूद वह एक अन्य महिला के साथ लिव-इन में रह रहे हैं. कहा गया था कि यह आचरण उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियम, 1956 के प्रावधानों और हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के भी ख़िलाफ़ है.
बर्खास्त किए गए कर्मचारियों में हिज्बुल मुजाहिदीन सरगना सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटे और और दो पुलिसकर्मी शामिल हैं. उन्हें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत बर्खास्त किया गया है. इस अनुच्छेद के तहत कोई जांच नहीं की गई और बर्खास्त कर्मचारी राहत पाने के लिए सिर्फ हाईकोर्ट का रुख कर सकते हैं.
मोदी सरकार द्वारा सेंट्रल सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल्स, 1972 में किए गए संशोधन के बाद अब रिटायर्ड सुरक्षा अधिकारियों को अपने पूर्व संगठन से संबंधित विषय पर कुछ भी लिखने से पहले सरकार की अनुमति लेनी होगी. इसका उल्लंघन सेवानिवृत्त अधिकारी की पेंशन को ख़तरे में डाल सकता है.
केंद्र सरकार ने कहा है कि खुफ़िया और सुरक्षा संबंधी संस्थानों में काम कर चुके सेवानिवृत्त अधिकारियों को संस्थान प्रमुख को वचन देना होगा कि वे इस प्रकार की सूचना प्रकाशित नहीं करेंगे. ऐसा नहीं करने पर उनकी पेंशन रोक लगा दी जाएगी या वापस ले ली जाएगी. इसके अलावा संगठन प्रमुख फैसला करेगा कि प्रस्तावित सामग्री संवेदनशील है या नहीं.
इस क़ानून के लागू होने के बाद अब सरकारी और आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारी 25 मई 2021 तक हड़ताल पर नहीं जा पाएंगे. इससे पहले बीते 22 मई को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य में छह महीने के लिए आवश्यक सेवा अनुरक्षण क़ानून (एस्मा) लागू कर हड़ताल पर रोक लगा दी थी.
कोई मंत्री या सरकारी कर्मचारी आपराधिक जांच के मुद्दों पर विचार व्यक्त करते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दावा कर सकता है या नहीं, इस पर होगा विचार.