पिछले दशकों में गुजरात भाजपा का सबसे सुरक्षित गढ़ रहा है और आज की तारीख़ में वह प्रधानमंत्री व गृहमंत्री दोनों का गृह प्रदेश है. अगर उसमें भी भाजपा को हार का डर सता रहा है तो ज़ाहिर है कि उसने अपनी अजेयता का जो मिथक पिछले सालों में बड़े जतन से रचा था, वह दरक रहा है.
गुजरात में विधानसभा चुनाव से लगभग 15 महीने पहले बीते 11 सितंबर को विजय रूपाणी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. कोरोना वायरस महामारी के दौरान भाजपा शासित राज्यों में पद छोड़ने वाले रूपाणी चौथे मुख्यमंत्री हैं. इससे पहले उत्तराखंड में दो बार और कर्नाटक में एक बार मुख्यमंत्री बदले जा चुके हैं.
भूपेंद्र पटेल 2017 के विधानसभा चुनाव में राज्य की घाटलोडिया सीट से पहली बार चुनाव जीते थे. सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा रखने वाले पटेल पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के करीबी माने जाते हैं. आनंदीबेन 2012 में इसी सीट से चुनाव जीती थीं. विपक्ष ने भाजपा पर गुजरात में ‘रिमोट कंट्रोल’ सरकार चलाने का आरोप लगाया है.
भाजपा के ‘मॉडल’ राज्य गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में विजय रूपाणी के इस्तीफ़ा देने के पांच संभावित कारण.
गुजराती समाचार पोर्टल ‘फेस ऑफ द नेशन’ के संपादक धवल पटेल ने पिछले साल कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन का सुझाव देने वाली एक रिपोर्ट लिखी थी, जिसके चलते 11 मई 2020 को उनके ख़िलाफ़ राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था. उनके माफ़ी मांगने के बाद यह मामला रद्द किया गया था.
गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव दिसंबर 2022 में होने हैं. 65 वर्षीय रूपाणी ने दिसंबर 2017 में दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. इस्तीफ़ा देने के बाद उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी में यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. पार्टी कार्यकर्ता को अलग-अलग समय पर अलग-अलग ज़िम्मेदारियां मिलती हैं. अब पार्टी जो भी ज़िम्मेदारी देगी, उसे वह निभाएंगे.