मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल- जून) के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि की दर वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में 7.8 थी, जो 2024-25 की पहली तिमाही में घटकर 6.7 प्रतिशत रह गई. पिछला न्यूनतम स्तर वित्त वर्ष 2023 की जनवरी-मार्च तिमाही में देखा गया था.
द लांसेट ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकारी ख़र्च जीडीपी का लगभग 1.2 प्रतिशत है, जबकि इस पर आम लोगों की अपनी जेब से लगने वाला ख़र्च अधिक है.
वित्तीय सेवा फर्म मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट में कहा गया है कि शुद्ध वित्तीय बचत जीडीपी के 5% के निचले स्तर तक गिर गई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़, दुनियाभर में तीन महिलाओं में से लगभग एक ने अपने जीवनकाल के दौरान शारीरिक या यौन हिंसा का अनुभव करती हैं. दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र इस संबंध में दूसरे पायदान पर है.