पुस्तक अंश: गुलज़ार के गीतों और फिल्मों ने कई पीढ़ियों को संस्कार दिया है, हिंदी सिनेमा के भीतर शास्त्रीयता की संभावना को जीवित रखा है. यतीन्द्र मिश्र ने अपनी किताब में इस बेजोड़ कलाकार की आत्मा को बड़ी बारीकी से अंकित किया है.
ग़ज़ल गायक भूपिंदर सिंह का मुंबई के एक अस्पताल में संदिग्ध तौर पर पेट के कैंसर और कोविड-19 से संबंधित समस्याओं के कारण निधन हो गया. पांच दशक के लंबे करिअर में उन्होंने ‘दिल ढूंढता है’, ‘नाम गुम जाएगा’, ‘थोड़ी सी जमीन थोड़ा आसमान’, दो दीवाने शहर में, किसी नज़र को तेरा इंतज़ार, किसी को मुकम्मल जहां, जैसे कई प्रसिद्ध गीतों को अपनी आवाज़ दी थी.
हृषिकेश सिनेमा के रास्ते पर आम परिवारों की कहानी की उंगली थामे निकले थे. ये समझाने कि हंसी या आंसुओं को अमीर-गरीब के खांचे में नहीं बांटा जा सकता.
शायर और गीतकार गुलज़ार ने कहा कि हमें आज भी सांस्कृतिक आज़ादी नहीं मिल सकी है.