हरियाणा के नामी राजनीतिक परिवारों में पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल, बंसीलाल और देवीलाल के परिवार शामिल हैं, जिनके सदस्य अपना गढ़ नहीं बचा सके. पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के परपोते जजपा के दिग्विजय सिंह चौटाला और उनके भाई पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला अपनी सीट नहीं बचा सके.
पार्टियों की हार-जीत से इतर हरियाणा में एक ज़रूरी मुद्दा महिलाओं की राजनीति में भागीदारी का है. इस बार कुल 13 महिलाएं विधायक चुनी गई हैं, जो कुल सीटों की करीब साढ़े 14 प्रतिशत है.
फ़िरोज़पुर झिरका सीट से कांग्रेस नेता मामन ख़ान ने भाजपा प्रत्याशी नसीम अहमद पर सबसे अधिक 98,441 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है. ख़ान को पिछले साल नूंह हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
लोकसभा चुनाव 2024 में मिली बढ़त (दस में पांच सीट) से कांग्रेस आत्मविश्वास से भरी हुई थी. उसके पास किसान आंदोलन, पहलवानों का अपमान और अग्निपथ योजना जैसे मुद्दे भी थे, मत प्रतिशत भी बढ़ा, लेकिन वह इसे जीत में तब्दील नहीं कर पाई.
सेना में जवानों की अल्पकालिक भर्ती के लिए लाई गई 'अग्निपथ' योजना, दिल्ली की सीमाओं पर अपनी मांगों को लेकर डटे किसान और राजधानी में ही पुलिस द्वारा घसीटे गए प्रदर्शनकारी पहलवानों के मुद्दों की हरियाणा के मौजूदा विधानसभा चुनावों में गहरी छाप नज़र आती है.
अमित बागड़ी ने बचपन में एक बार अनजाने में ब्राह्मणों के कुएं से पानी पी लिया था. उन्हें तुरंत उस कुएं से दूर रहने की हिदायत दी गई. तब से वे कभी उस कुएं पर नहीं गए.
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा से बग़ावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले 5 उम्मीदवार जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, जबकि कई सीटों पर बाग़ियों ने भाजपा का खेल बिगाड़ा था. नतीजतन, पार्टी बहुमत से दूर रह गई थी. इस बार भी कम से कम 18 सीटों पर भाजपा के बाग़ी निर्दलीय मैदान में हैं.
हरियाणा के भिवानी ज़िले का बापोड़ा गांव पूर्व सेना प्रमुख और भाजपा सांसद जनरल वीके सिंह का गांव है. गांव के हर दूसरे परिवार में आपको सैनिक मिल जाएंगे, लेकिन ‘अग्निपथ’ योजना लागू होने के बाद यहां के युवा सेना का सपना छोड़कर अन्यत्र भविष्य तलाश रहे हैं.
विरोध के कारणों में किसान आंदोलन प्रमुख है. कुछ निर्वाचन क्षेत्र तो ऐसे हैं जिन्हें भाजपा का गढ़ माना जाता है. विरोध का सामना जननायक जनता पार्टी को भी करना पड़ रहा है, जिसने पिछले विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा से गठबंधन कर लिया था.
हरियाणा के पिछले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों समेत कुल 104 महिलाएं चुनावी मैदान में थीं. इस बीच, राज्य के भाजपा प्रभारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अनिल विज की मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी ख़ारिज कर दी है.
हरियाणा के वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मंत्री अनिल विज 6 बार के विधायक हैं और अंबाला छावनी सीट से उम्मीदवार हैं. हालांकि, भाजपा पहले ही मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नाम का ऐलान कर चुकी है.
हरियाणा में फिर से सत्ता में वापसी के लिए प्रयासरत भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को अपना चेहरा बनाया है, लेकिन केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह भी स्वयं को मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में पेश कर रहे हैं.
भारतीय निर्वाचन आयोग ने यह फ़ैसला बिश्नोई समाज के त्योहार आसोज अमावस्या को ध्यान में रखकर लिया है, जो 1 अक्टूबर से 3 अक्टूबर के बीच मनाया जाएगा. हरियाणा के साथ ही, जम्मू-कश्मीर में भी अब मतगणना 4 अक्टूबर की जगह 8 अक्टूबर को होगी.