द लांसेट ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकारी ख़र्च जीडीपी का लगभग 1.2 प्रतिशत है, जबकि इस पर आम लोगों की अपनी जेब से लगने वाला ख़र्च अधिक है.
वीडियो: भारत की स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था पर द वायर ने नई श्रृंखला के दूसरे एपिसोड में भारत सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं पर किए जाने वाले ख़र्च का मुद्दा उठाया गया है. इस विषय पर दो विशेषज्ञों- ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी के इंद्रनील मुखोपाध्याय और आंबेडकर यूनिवर्सिटी की दीपा सिन्हा से बात कर रही हैं आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि ज़िला अस्पतालों को प्रति एक लाख आबादी पर कम से कम 22 बिस्तर की सिफ़ारिश की गई है. हालांकि 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ज़िला अस्पतालों में बिस्तरों की औसत संख्या 22 से कम थी. इसमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि राज्य शामिल हैं. पुदुचेरी में सर्वाधिक औसतन 222 बिस्तर और बिहार में सबसे कम छह बिस्तर उपलब्ध हैं.
भारत में कैंसर को लेकर कोई ज़िद किसी नेता में नज़र नहीं आती. कैंसर होते ही मरीज़ के साथ पूरा परिवार बर्बाद हो जाता है. कई संस्थाएं कैंसर के मरीज़ों के लिए काम करती हैं मगर इसे लेकर रिसर्च कहां है, जागरूकता कहां है, तैयारी क्या है?
विकास और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े माने जाने वाले राज्य मणिपुर, मिज़ोरम, मेघालय की स्थिति बाल मृत्युदर के मामले में गुजरात से बेहतर है. वहीं, ज़्यादातर आदिवासी क्षेत्रों में बाल मृत्यु दर कम है.
स्वास्थ्य राज्यमंत्री की ओर से पेश आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2015-16 में 1.4 फीसदी और वर्ष 2014-15 में 1.2 फीसदी राशि स्वास्थ्य पर ख़र्च हुई.
ब्रिटेन की एक हेल्थ मैगजीन ने अपने शोध में बताया कि बांग्लादेश में डॉक्टर सिर्फ 48 सेकेंड और पाकिस्तान में 1.3 मिनट का समय देते हैं.