भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार की आलोचना करते हुए हिमाचल प्रदेश कॉलेज शिक्षक संघ के महासचिव आरएल शर्मा ने कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, संकाय सदस्यों की आवश्यकता और बुनियादी ढांचे की सुविधाओं के मूल मुद्दों पर विचार किए बिना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के बारे में बात कर रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा में बताया कि अल्पसंख्यक समुदायों के रिसर्च स्कॉलर्स को मिलने वाली मौलाना आज़ाद नेशनल फेलोशिप को इस शैक्षणिक वर्ष से बंद किया जा रहा है. यह फेलोशिप सच्चर समिति की सिफ़ारिशों को लागू करने के लिए यूपीए शासनकाल में शुरू की गई थी.
मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा राज्यपाल ने कहा कि सभी निजी और राजकीय विश्वविद्यालय अधिक से अधिक रोज़गार मूलक पाठ्यक्रम संचालित करें. पाठ्यक्रमों की उच्च गुणवत्ता के मानकों का कड़ाई से पालन करें.
महाराष्ट्र चिकित्सा शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया है कि योजना के पहले चरण में मेडिकल डिग्री पाठ्यक्रमों के शुरुआती दो वर्षों के लिए मराठी में पाठ्यपुस्तकें तैयार की जाएंगी. ये वैकल्पिक पाठ्यपुस्तकें मराठी माध्यम से आने वाले छात्रों के लिए होंगी ताकि वे पाठ्यक्रम को बेहतर तरीके से समझ सकें.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, किसी उच्च शिक्षण संस्थान में फैकल्टी के स्वीकृत पदों में से 10 फीसदी पद 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' के हो सकते हैं, जिन पर विभिन्न क्षेत्रों में 15 वर्ष का अनुभव रखने वाले पेशेवरों की नियुक्ति की जा सकती है.
तालिबान द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि यह आदेश अंतिम है और इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता. आचरण एवं नैतिकता मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हिजाब या हेडस्कार्फ़ मुस्लिम महिलाओं के लिए आवश्यक है और ढंके हुए चेहरों वाली महिला टेलीविज़न प्रस्तुतकर्ता अफ़ग़ानिस्तान में सभी महिलाओं के लिए अच्छे रोल मॉडल के रूप में काम करेंगी.
तालिबान की ओर से कहा गया है कि अगर एक महिला घर के बाहर अपना चेहरा नहीं ढकती है तो उसके पिता या निकटतम पुरुष रिश्तेदार को क़ैद कर लिया जाएगा या सरकारी नौकरी से निकाल दिया जाएगा. तालिबान ने बीते मार्च महीने में देश के अधिकतर हिस्सों में कक्षा छह के बाद लड़कियों को स्कूल जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
बुधवार शाम बीएचयू के महिला छात्रावास में हुए इफ़्तार आयोजन में कुलपति और कुछ शिक्षक शामिल हुए थे, जिसे 'नई परंपरा की शुरुआत बताते हुए' छात्रों के एक वर्ग ने देर रात प्रदर्शन किया. विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे निंदनीय और माहौल बिगाड़ने का प्रयास बताते हुए कहा कि ऐसे आयोजन सालों से होते रहे हैं.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने एक एडवाइज़री जारी कर भारतीय नागरिकों को पाकिस्तान में उच्च शिक्षा हासिल नहीं करने को कहा गया. चीन के संस्थानों में भारतीय विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा हासिल करने से बचने की चेतावनी देने के एक माह के भीतर यूजीसी और एआईसीटीई की ओर से यह परामर्श जारी किया गया है.
अफ़ग़ानिस्तान के तालिबान शासन ने लड़कियों की उच्च स्कूली शिक्षा पर रोक लगाने का फैसला किया है, जिसके तहत छठी कक्षा से ऊपर के स्कूलों में लड़कियों को जाने की अनुमति नहीं रहेगी. पूर्व में तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष संकल्प जताया था कि वे महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों में कटौती नहीं करेंगे.
ग्राउंड रिपोर्ट: साल 2014 में देवरिया ज़िले में भाटपाररानी विधानसभा क्षेत्र के भवानी छापर गांव में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आईटीआई का शिलान्यास किया था. ग्रामीण युवाओं को आस थी कि वे तकनीकी हुनर सीखकर आजीविका कमा सकेंगे. सात साल बीतने के बावजूद यह आईटीआई अब तक शुरू नहीं हो सका और रोजी-रोटी की तलाश में स्थानीय युवा अन्य राज्यों में मज़दूरी करने के लिए पलायन को मजबूर हैं.
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह अपने 15 महीनों के कार्यकाल के दौरान लगातार विवादों में रहे हैं. फैकल्टी सदस्य और विद्यार्थी उन पर अनियमितता, मनमाने निर्णयों और शिक्षकों के साथ बदसलूकी के आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की मांग कर रहे हैं.
लोकसभा में दिए गए इस आंकड़े में अनुसूचित जाति वर्ग के 24, अनुसूचित जनजाति वर्ग के तीन, अन्य पिछड़ा वर्ग के 41 छात्र तथा अल्पसंख्यक वर्ग के तीन छात्र शामिल हैं.
इससे पहले डीयू के कुलपति योगेश सिंह द्वारा गठित एक समिति ने सिफ़ारिश की थी कि एडमिशन प्रक्रिया में पर्याप्त निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सामान्य प्रवेश परीक्षा आयोजित करनी चाहिए. केरल बोर्ड के छात्रों को शत-प्रतिशत अंक मिलने के कारण बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय में उनके दाख़िले की तादाद बढ़ गई है.
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स और नेटवर्क ऑफ वूमेन इन मीडिया इन इंडिया द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट उन महिला पत्रकारों पर केंद्रित है, जो अभी भी अफ़ग़ानिस्तान में रह रही हैं और जो बाहर हैं, जिनकी आजीविका को तालिबान के आने के चलते भारी झटका लगा है.