यह मामला मंगलुरु के दयानंद पई सतीश पई गवर्मेंट फर्स्ट ग्रेड कॉलेज का है. बीते तीन मार्च को हिबा शेख़ सहित उनकी साथी छात्राओं को कॉलेज के गेट पर एबीवीपी से जुड़े छात्रों के बीच हिजाब को लेकर विवाद हुआ था. इस संबंध में हिबा ने 19 छात्रों के ख़िलाफ़ केस दर्ज कराया है. अपने ख़िलाफ़ एफ़आईआर पर उन्होंने कहा कि उन्हें फ़ंसाया गया है.
दक्षिण दिल्ली नगर निगम की शिक्षा समिति ने अपने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने को कहा है कि एसडीएमसी के प्राथमिक स्कूलों में छात्र-छात्राएं ‘धार्मिक पोशाक’ पहनकर न आएं और उन्हें निर्धारित ड्रेस कोड में ही स्कूल में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए.
कर्नाटक के उडुपी ज़िले में एक प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में बीते साल दिसंबर में ड्रेस कोड का उल्लंघन करने के लिए कुछ लड़कियों को कक्षा में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई थी. धीरे-धीरे यह विवाद राज्य के अन्य हिस्सों में भी फैल गया, जिससे कई स्थानों पर शिक्षण संस्थानों में तनाव का माहौल पैदा हो गया था.
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के माउंट कार्मेल प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज का मामला. कॉलेज प्रशासन द्वारा बीते 16 फरवरी को अमृतधारी सिख छात्रा और स्टूडेंट एसोसिएशन की अध्यक्ष को पगड़ी हटाने के लिए कहा गया था जिससे उन्होंने इनकार कर दिया. परिवार का कहना है कि उनकी बेटी पगड़ी नहीं हटाएगी और वे क़ानूनी राय ले रहे हैं.
कर्नाटक हाईकोर्ट में उडुपी के याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए एक वकील ने बताया कि शिक्षिकाओं को भी अपना ‘हेडस्कार्फ़’ हटाने को कहा गया है. इस पर अदालत ने कहा कि उसका हिजाब से संबंधित अंतरिम आदेश केवल विद्यार्थियों तक ही सीमित है.
हिजाब विवाद को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाली याचिकाकर्ताओं में से एक हाज़रा शिफ़ा ने आरोप लगाया है कि भीड़ ने उनके भाई पर हमला किया और उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया. इस संबंध में मालपे पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है.
कर्नाटक के विभिन्न ज़िलों में लड़कियों के हिजाब पहनकर कॉलेज जाने का मामला सामने आया है. कई कॉलेजों में प्रवेश न देने की वजह से छात्राओं ने प्रदर्शन भी किया. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने इस समस्या के लिए ‘बाहरी’ लोगों को ज़िम्मेदार ठहराते हुए दावा किया कि इस मुद्दे को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा.
कर्नाटक के विभिन्न स्कूल-कॉलेजों में हिजाब को प्रतिबंधित करने को लेकर चल रहे विवाद और अदालती बहस के बीच मुस्लिम छात्राओं का कहना है कि राजनीतिक दबाव के चलते इस तरह की पाबंदियां लगाई गई हैं.
कर्नाटक सरकार द्वारा हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया है कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अंतर्गत आने वाले स्कूलों और कॉलेजों और मौलाना आजाद मॉडल इंग्लिश मीडियम स्कूलों में भगवा शॉल, स्कार्फ, हिजाब पहनना या कोई अन्य धार्मिक झंडे को रखना प्रतिबंधित है.
मांड्या में अपने कॉलेज के पास रास्ता रोके जाने और नारे लगाकर परेशान करने वाली भीड़ का सामना करने वाली छात्रा मुस्कान ख़ान का कहना है कि वह अपने हिजाब पहनने के हक़ की लड़ाई लड़ रही हैं.
भाजपा की कर्नाटक इकाई ने अंग्रेजी और कन्नड़ भाषाओं में ट्वीट कर हिजाब के विरोध में अदालत में याचिकाएं दायर करने वाली छात्राओं की निजी जानकारी साझा कर दी थी, जिसमें छात्राओं के नाम, उनके पते और उनके परिजनों के नाम सहित उनकी निजी जानकारियां शामिल थीं. हालांकि विवाद के बाद इन्हें ट्विटर से हटा दिया गया.
कर्नाटक में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर जारी विवाद के ख़िलाफ़ विरोध जताते हुए मंगलवार को आगरा में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने भगवा वस्त्र पहनकर हनुमान चालीसा पढ़ने के लिए ताजमहल परिसर में घुसने का प्रयास किया. पुलिस ने उन्हें चुनाव आचार संहिता और धारा 144 लगने की वजह से बीच रास्ते में ही रोक लिया. बाद में विरोध स्वरूप कार्यकर्ताओं ने थाना हरीपर्वत में हनुमान चालीसा का पाठ किया.
कर्नाटक में बीते कई दिनों से मुस्लिम छात्राओं के स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने को लेकर विवाद है, जिस पर हाईकोर्ट में सुनवाई भी चल रही है. इसे लेकर अमेरिकी सरकार के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामले के राजदूत ने टिप्पणी पर भारत ने कहा कि देश के आंतरिक मामलों पर किसी अन्य मक़सद से प्रेरित टिप्पणियां स्वीकार्य नहीं है.
एक हज़ार से अधिक नारीवादियों, लोकतांत्रिक समूहों, शिक्षाविदों, वकीलों और समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने कैंपस में हिजाब पहनने वाली मुस्लिम छात्राओं को निशाना बनाने की घटना की निंदा करते हुए इसे मुस्लिम युवतियों के साथ भेदभाव का नवीनतम बहाना क़रार दिया.
कर्नाटक के कॉलेज में पिछले महीने से हिजाब पहनने को लेकर मचे विवाद से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कक्षाओं में हिजाब और भगवा शॉल नहीं ले जाने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि वह प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेगा और हाईकोर्ट के उस निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर ‘उचित समय’ पर विचार करेगा.