भारत के लिए गुजरात के चुनाव परिणाम का विचारधारात्मक आशय काफ़ी गंभीर होगा. गुजरात के बाहर भी मुसलमान और ईसाई विरोधी घृणा और हिंसा में और तीव्रता आएगी. श्रमिकों, किसानों, छात्रों आदि के अधिकार सीमित करने के लिए क़ानूनी तरीक़े अपनाए जाएंगे. संवैधानिक संस्थाओं पर भी दबाव बढ़ेगा.
इन चुनावों व उपचुनावों में भाग लेने वाले मतदाताओं ने जता दिया है कि नए विकल्प न भी हों तो वे मजबूर होकर सत्ताधीशों की मनमानियों को सहते नहीं रहने वाले. जो विकल्प उपलब्ध हैं, उन्हीं में उलट-पलटकर चुनते हुए सत्ताधीशों के अपराजेय होने के भ्रम को तोड़ते रहेंगे.
बीते 12 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में करीब 76.44 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले थे. अब तक हिमाचल प्रदेश में हर पांच साल में सरकार बदलने का चलन देखा गया है. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 44 और कांग्रेस को 21 सीटें हासिल हुई थीं.
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ज़िले की फतेहपुर विधानसभा सीट पर भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद कृपाल परमार पार्टी से बग़ावत करते निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. एक वायरल वीडियो के आधार पर यह दावा किया जा रहा है कि स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें फोन करके चुनावी मैदान से पीछे हटने का दबाव बनाया है.
निर्वाचन आयोग की ओर से गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीख़ों की घोषणा नहीं की गई. गुजरात विधानसभा का कार्यकाल अगले साल 18 फरवरी को समाप्त हो रहा है. वहीं हिमाचल प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल आठ जनवरी को समाप्त होगा.