नॉर्थ ईस्ट डायरीः त्रिपुरा निकाय चुनाव में हिंसा के बाद विपक्ष का भाजपा पर धांधली का आरोप

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में त्रिपुरा, असम, नगालैंड, मेघालय, मिज़ोरम और अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख समाचार.

टीवी शो में असम की प्रतिभागी के लिए ‘नस्ली’ टिप्पणी की मुख्यमंत्री ने की निंदा

एक वायरल वीडियो में कलर्स चैनल पर प्रसारित होने वाले ‘डांस दीवाने-3’ कार्यक्रम के मेज़बान राघव जुयाल को गुवाहाटी की एक प्रतिभागी बच्ची गुंजन सिन्हा का परिचय ‘चीनी’ भाषा के अस्पष्ट उच्चारण में देते हुए देखा जा सकता है, जिसमें वह ‘मोमो’ और ‘चाऊमीन’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं.

नॉर्थ ईस्ट डायरी: हाईकोर्ट ने अल्पसंख्यकों पर कथित हमले पर त्रिपुरा सरकार से रिपोर्ट मांगी

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में त्रिपुरा, असम, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख समाचार.

द इंडियन मुस्लिम्स: देश की सबसे बड़ी धार्मिक अल्पसंख्यक आबादी के डर व शंकाओं का लेखा-जोखा

पुस्तक समीक्षा: हुमरा क़ुरैशी की किताब ‘द इंडियन मुस्लिम्स- ग्राउंड रियालिटीज़ ऑफ लार्जेस्ट मायनॉरिटी इन इंडिया’ आजा़दी की 75वीं सालगिरह मनाने के इस दौर में ‘हिंदोस्तां के मुसलमान’ किस तरह अपने सबसे ‘स्याह दौर’ से गुजर रहे हैं, इसका ज़िक्र करते हुए यह आशंका ज़ाहिर करती है कि ‘अगर सांप्रदायिक विषवमन नियंत्रित नहीं किया गया तो आपसी विभाजन बदतर हो जाएगा.’

क्या हिंसा की संस्कृति अब भारत की पहचान बनती जा रही है

अगर किसी के ख़िलाफ़ शक़ और नफ़रत समाज में भर दी जाए तो उस पर हिंसा आसान हो जाती है क्योंकि उसका एक कारण पहले से तैयार कर लिया गया होता है. आज हिंसा और हत्या की इस संस्कृति को समझना हमारे लिए बहुत ज़रूरी है इसके पहले कि यह देश को पूरी तरह तबाह कर दे.

असम फायरिंग को अवैध क़ब्ज़े से ज़मीन ख़ाली कराने के मसले के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए

असम में ज़मीन से ‘बाहरी’ लोगों की बेदख़ली मात्र प्रशासनिक नहीं, राजनीतिक अभियान है. बेदख़ली एक दोतरफा इशारा है. हिंदुओं को इशारा कि सरकार उनकी ज़मीन से बाहरी लोगों को निकाल रही है और मुसलमानों को इशारा कि वे कभी चैन से नहीं रह पाएंगे.

असम में बेदख़ली अभियान के दौरान घायल हुए लोगों को नहीं मिला उचित इलाज: रिपोर्ट

एक फैक्ट फाइंडिंग टीम की जांच में पता चला है कि असम के दरांग जिले में 21 सितंबर को प्रशासन द्वारा बेदख़ली अभियान के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प में जिन तीन लोगों को गोली लगी थी, उनके शरीर से 27 सितंबर तक गोलियां नहीं निकाली गई थीं.

असम: बंद पेपर मिलों के ठेकेदारों ने मुख्यमंत्री से बकाया भुगतान की अपील की

असम में हिंदुस्तान पेपर कॉरपोरेशन लिमिटेड के हैलाकांडी ज़िले में कछार पेपर मिल एवं मोरीगांव जिले के जगीरोड में नगांव पेपर मिलें- क्रमश: अक्टूबर 2015 और मार्च 2017 से बंद पड़ी हैं. नगांव पेपर मिल ठेकेदार संगठन ने कहा है कि मिल बंद होने से वे असहाय और बेरोज़गार हो गए हैं. नियोक्ताओं और श्रमिकों को लंबे समय से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है और उनकी वित्तीय स्थिति ख़राब हो रही है.

असमः बेदख़ली अभियान के दौरान हिंसा भड़काने के आरोप में दो लोग गिरफ़्तार

असम के दरांग ज़िले के सिपाझार में 23 सितंबर को राज्य सरकार द्वारा एक कृषि परियोजना के लिए अधिग्रहीत ज़मीन से कथित ‘अवैध अतिक्रमणकारियों’ को हटाने के दौरान पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच झड़प हो गई थी. इस दौरान पुलिस की गोलीबारी में 12 साल के बच्चे सहित दो लोगों की मौत हुई, जबकि नौ पुलिसकर्मियों सहित 15 लोग घायल हुए थे.

असम के बंद पड़ी पेपर मिल के दो और कर्मचारियों की मौत, मृतक संख्या 95 हुई: यूनियन

असम में नगांव पेपर मिल और कछार पेपर मिल के जॉइंट एक्शन कमेटी ऑफ रेकग्नाइज़्ड यूनियंस का कहना है कि हमारे अधिकतर कर्मचारियों की मौत उचित इलाज के अभाव में हुई है, क्योंकि उन्हें पिछले 55 महीनों से वेतन या बकाया नहीं मिला है. ये सामान्य मौतें नहीं हैं, हमारे लोग अधिकारियों की उदासीनता के कारण मारे जा रहे हैं.

असम: अतिक्रमण हटाने का विरोध कर रहे स्थानीय लोगों पर पुलिस ने गोलियां बरसाईं, दो की मौत

घटना दरांग ज़िले के सिपाझार की है, जहां पुलिस ने अतिक्रमण हटाने के एक अभियान के दौरान गोलियां चलाईं, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई. पुलिस का दावा है कि स्थानीय लोगों ने उन पर हमला किया था, जिसके बाद उन्हें बल प्रयोग करना पड़ा. राज्य सरकार ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं.

असम सरकार ने कथित ‘अवैध अतिक्रमण’ के ख़िलाफ चलाया अभियान, 800 परिवार बेघर

असम के दरांग ज़िले के धालपुर में स्थानीय प्रशासन ने सैकड़ों परिवारों के घरों को ढहा दिया है, जिसके चलते वे कोरोना महामारी के बीच दयनीय स्थिति में रहने को मजबूर हैं. पिछले तीन महीने में ऐसा दूसरी बार हुआ जब धालपुर के लोगों को बेदख़ल किया गया है. यहां ज़्यादातर पूर्वी बंगाल के मूल वाले मुसलमान रहते हैं.

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