आज हमारे सामने ऐसे नेता हैं जो केवल तीन काम करते हैं: वे भाषण देते हैं, उसके बाद भाषण देते हैं और फिर भाषण देते हैं. सार्वजनिक राजनीति से करनी और कथनी में केवल कथनी बची है. गांधी उस कथनी को करनी में तब्दील करने के लिए ज़रूरी हैं.
इतिहासकार इरफ़ान हबीब ने महात्मा गांधी पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि मोदी सरकार ने एक राष्ट्रपिता के रूप में गांधी की विरासत को भुलाते हुए उनके क़द को स्वच्छ भारत मिशन तक सीमित कर दिया है.