ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट बताती है कि एक एनर्जी परियोजना में संभावित रिश्वतखोरी को लेकर अडानी समूह के साथ इस जांच के दायरे में भारतीय रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी- एज़्योर पावर ग्लोबल लिमिटेड भी शामिल है.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह पर लगे आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में सेबी को बेदाग़ बताया गया है, जबकि समूह पर लगे आरोपों को लेकर सवाल सेबी के नियामक के बतौर कामकाज पर भी हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने अडानी समूह के ख़िलाफ़ हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों की जांच भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से सीबीआई को स्थानांतरित करने या एसआईटी गठित करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है. इससे इनकार करते हुए अदालत ने सेबी को 3 महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह के ख़िलाफ़ लगाए गए आरोपों की अदालत की निगरानी में जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. शीर्ष अदालत ने कहा है कि जब सेबी के नियामक क्षेत्र की बात आती है तो अदालत के पास सीमित क्षेत्राधिकार है.
एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अडानी एंटरप्राइजेज और इसकी सहायक कंपनियां अदालती आदेशों के ज़रिये उन दस्तावेज़ों को जारी होने से रोक रही हैं जिनसे अडानी समूह द्वारा भारत में कोयला आयात का अधिक मूल्य लगाने, जिसके चलते उपभोक्ताओं को महंगी बिजली खरीदनी पड़ी है, की बात सामने आती है.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि ‘ताज़ा खुलासे’ से पता चलता है कि ओपल इन्वेस्टमेंट नामक कंपनी, जो अडानी पावर में 8,000 करोड़ रुपये की इक्विटी को नियंत्रित करती है, को मई 2019 में दुबई में एक ‘सिंगल पर्सन फर्म’ के रूप में स्थापित किया गया था. इस खुलासे से अडानी की शेल कंपनियों के ग़ैर-क़ानूनी कार्यों की दुर्गंध और ज़्यादा तेज़ हो गई है.
अमेरिका वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग द्वारा अडानी समूह पर ‘स्टॉक हेरफेर और ऑडिट धोखाधड़ी’ के आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति मई में अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंप चुकी है. अब समिति सदस्यों पर हितों के टकराव के आरोप लगाते हुए इसके पुनर्गठन की मांग की गई है.
वीडियो: सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामा दायर किया गया, जिसमें अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच की मांग करने वाले एक याचिकाकर्ता अनामिका जायसवाल ने सेबी पर आरोप लगाया है कि उसने अडानी की ओर से स्टॉक मार्केट में हेराफेरी करने से संबंधित राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के 2014 के अलर्ट को छिपाया था.
वीडियो: मीडिया का एक तबका कह रहा है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने अडानी समूह को क्लीन चिट दे दी है. क्या वाकई ऐसा हुआ है? इसे जानने का तरीका यह है कि जाना जाए कि हिंडनबर्ग रिसर्च में आरोप क्या थे और क्या कोर्ट ने इन सभी को लेकर कोई कमेटी बनाई थी? अगर नहीं तो फिर कमेटी का काम क्या था?
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति और सेबी अडानी समूह के लेन-देन की जांच करते समय ऐसे बिंदु पर पहुंच गए, जहां से आगे नहीं बढ़ सकते थे. पार्टी ने मामले में सच्चाई को उजागर करने के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति की जांच की अपनी मांग दोहरायी है.
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह पर लगे स्टॉक हेर-फेर और लेखा धोखाधड़ी के आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि छह कंपनियों की ओर से संदिग्ध व्यापार देखा गया है. ये कंपनियां अडानी समूह के शेयरों में संदिग्ध ट्रेडिंग के लिए हिंडनबर्ग की रिपोर्ट जारी होने से पहले से जांच के दायरे में हैं.
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह पर लगे आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. ऐसे दावे किए जा रहे हैं कि रिपोर्ट में अडानी समूह को क्लीनचिट दे दी गई है. इस पर कांग्रेस का कहना है कि वास्तव में समिति के निष्कर्षों ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच के लिए उनकी मांग को और मजबूती दी है.
बीते जनवरी माह में अमेरिका वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने 19 जुलाई 2021 को लोकसभा को बताया था कि सेबी अडानी समूह की कंपनियों की जांच कर रहा है. अब सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उनके द्वारा अडानी समूह पर लगे किसी भी गंभीर आरोप की जांच नहीं की गई थी. इन विरोधाभासी बयानों के बाद विपक्ष के हमलावर होने पर वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वह लोकसभा में दिए अपने बयान पर क़ायम है.
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानी समूह पर स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगने के बाद सेबी मामले की जांच कर रहा है. सेबी ने जांच के लिए छह महीने का समय मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच के लिए सेबी लंबा समय नहीं ले सकता है. हम उसे तीन महीने का समय देंगे.