इंदौर में हिंदी माध्यम से पढ़ाई करके आई एक इंजीनियरिंग छात्रा ने भाषा को लेकर मज़ाक उड़ाए जाने से क्षुब्ध होकर आत्महत्या कर ली. क्या इससे समझा जा सकता है कि छात्र अपनी मातृभाषा में ही ‘अपना सर्वश्रेष्ठ’ दे सकते हैं और उन पर शिक्षा का गैर-मातृभाषा माध्यम थोपकर कितनी प्रतिभाओं का संहार कर दिया जा रहा है!
जेएनयू की प्रवेश परीक्षा में अब बहुविकल्पीय प्रश्न होंगे, जो अंग्रेजी में होंगे. इसका अर्थ हुआ कि हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए एक और राष्ट्रीय स्तर के संस्थान के दरवाज़े बंद हो गए.