दिल्ली हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के हिस्से के रूप में ये दिशानिर्देश जारी किए, जहां एक मुस्लिम व्यक्ति ने अक्टूबर 2022 में एक हिंदू महिला द्वारा उसके ख़िलाफ़ दायर बलात्कार की शिकायत को रद्द करने के लिए अदालत में याचिका दायर की थी. हालांकि, अदालत ने एफ़आईआर रद्द करने से इनकार कर दिया.
तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में बीते चार मई की रात 25 वर्षीय एक दलित युवक पर उसकी मुस्लिम पत्नी के भाई और एक अन्य व्यक्ति ने लोहे की छड़ और चाकू से हमला किया था, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई. पुलिस ने बताया कि दोनों व्यक्तियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. पुलिस ने कहा कि सैयद मोबिन अहमद अपनी बहन के युवक से संबंधों के ख़िलाफ़ था और उसे चेतावनी भी दी थी.
उत्तर प्रदेश के नए धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत शाहजहांपुर ज़िले का यह पहला मामला है. महिला का आरोप है कि युवक ने हिंदू के तौर पर ख़ुद की उनसे पहचान कराई. बाद में धर्म परिवर्तन कराकर निकाह करने का दबाव बनाया.
उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले में नए धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत एक मुस्लिम युवक के ख़िलाफ़ 28 नवंबर को पहला मामला दर्ज कराया गया था. लड़की के परिवार पर दबाव डालकर केस दर्ज कराने के आरोप से पुलिस ने इनकार किया है.
एक तरफ़ भारतीय संविधान वयस्क नागरिकों को अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार देता है, धर्म चुनने की स्वतंत्रता देता है, दूसरी तरफ़ भाजपा शासित सरकारें संविधान की मूल भावना के विपरीत क़ानून बना रही हैं.
भाजपा लव जिहाद के राग को क्यों नहीं छोड़ रही? वह हिंदुओं में भय बैठा रही है कि ‘हमारी’ स्त्रियों का इस्तेमाल करके ‘विधर्मी’ अपनी संख्या बढ़ाने का षड्यंत्र कर रहे हैं. ‘विधर्मियों’ की संख्या वृद्धि समस्या है. संख्या ही बल है और वही श्रेष्ठता का आधार है. इसलिए ऐसे हर विवाह या संबंध का विरोध किया जाना है, क्योंकि इससे ‘विधर्मी’ की संख्या बढ़ जाती है.
वीडियो: कथित लव जिहाद को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश’ को मंज़ूरी दे दी है. इसके तहत शादी के लिए छल-कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक धर्म परिवर्तन कराए जाने पर अधिकतम 10 साल की कारावास और जुर्माने की सज़ा का प्रावधान है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि हम ये समझने में असमर्थ हैं कि जब क़ानून दो व्यक्तियों, चाहे वो समलैंगिक ही क्यों न हों, को साथ रहने की अनुमति देता है, तो फिर न तो कोई व्यक्ति, न ही परिवार और न ही सरकार को दो लोगों के संबंधों पर आपत्ति होनी चाहिए, जो अपनी इच्छा से साथ रह रहे हैं.
एक हिंदू महिला और मुस्लिम शख़्स ने हाईकोर्ट से राहत मांगी है कि वे गुरुग्राम डिस्ट्रिक्ट मैरिज अधिकारी को निर्देश दे कि उनकी शादी का नोटिस उनके घर न भेजा जाए. कोर्ट ने कहा कि मांगी गई कुछ सूचनाएं निजता का उल्लंघन करती हैं. इस प्रक्रिया में एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में बदलते वक़्त की मानसिकता झलकनी चाहिए.