केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते दिनों भारत में मुसलमानों की स्थिति को इस आधार पर ठीक बताया था कि देश में उनकी आबादी बढ़ रही है. हालांकि, उन्होंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि भारतीय मुसलमान, विशेष रूप से सार्वजनिक जीवन में, कम प्रतिनिधित्व के गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं.
वीडियो: संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि 1951 और 2011 के बीच जनसंख्या वृद्धि दर में भारी अंतर के कारण भारत में उत्पन्न हुए धर्मों के अनुयायियों का अनुपात देश की आबादी में 88 प्रतिशत से घटकर 83.8 प्रतिशत हो गया है. वहीं, मुस्लिम आबादी का अनुपात 9.8 फ़ीसदी से बढ़कर 14.24 फ़ीसदी हो गया है. इस मुद्दे पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
भारत में 1991 से 2001 के बीच और फिर 2001 से 2011 के बीच हिंदुओं की तुलना में मुस्लिम आबादी बढ़ी लेकिन इन दो दशकों में हिंदुओं की तुलना में मुस्लिमों की वृद्धि दर अधिक तेज़ी से घटी है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ीं 150 से अधिक मुस्लिम हस्तियों से मुलाकात के बाद कहा है कि वे सभी लोग इस बात पर सहमत थे कि राज्य के कुछ हिस्सों में जनसंख्या विस्फोट राज्य के विकास के लिए ख़तरा उत्पन्न कर रहा है. यदि असम भारत के पांच शीर्ष राज्यों में से एक बनना चाहता है तो अपने जनसंख्या विस्फोट को प्रबंधित करना होगा.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि उनके राज्य के मुस्लिम अल्पसंख्यकों में गरीबी और निरक्षरता को मिटाने का एकमात्र तरीका दो बच्चों की नीति है. उन्होंने कहा कि असम अपनी वार्षिक जनसंख्या वृद्धि 1.6 प्रतिशत रखने में कामयाब रहा है, लेकिन जब हम सांख्यिकी की तह में जाते हैं तो पाते हैं कि मुस्लिम आबादी 29 प्रतिशत की दर (दशकीय) से बढ़ रही है, जबकि हिंदू आबादी 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रही.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने तेलंगाना में कहा कि ये देश परंपरा से हिंदुत्ववादी है. हम विविधता में एकता नहीं तलाश रहे बल्कि ऐसी एकता तलाश रहे हैं जिसमें विविधता हो और एकता हासिल करने के विभिन्न रास्ते हो.