हिंदू-मुसलमान का एक्शन, ‘हिंदू खतरे में है’ का नाच, जेएनयू पर डायलॉग, संसद का सास-बहू, लव जिहाद का धोखा... पूरा देश समाचारों में एकता कपूर के सीरियल देख रहा है, वहीं भुखमरी, किसान आत्महत्या, बलात्कार, बेरोज़गारी, निर्माण और उत्पादकता का विनाश, महिला और दलित उत्पीड़न के बारे में नज़र आती है तो केवल... चुप्पी.
कैराना उपचुनाव, मुज़फ़्फ़रनगर दंगों और किसान राजनीति पर राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी से कबीर अग्रवाल की बातचीत.
यह विडंबना है कि ज़िंदगी भर अपने लिखे हुए के लिए कोर्ट के चक्कर लगाने वाला, मुफ़लिसी में जीने और समाज की नफ़रत झेलने वाला मंटो आज ख़ूब चर्चा में है. इसी मंटो ने लिखा था कि मैं ऐसे समाज पर हज़ार लानत भेजता हूं जहां यह उसूल हो कि मरने के बाद हर शख़्स के किरदार को लॉन्ड्री में भेज दिया जाए जहां से वो धुल-धुलाकर आए.
संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति नाम के संगठन ने खुले में नमाज़ पढ़ने से लोगों को रोका. समिति में बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद, शिवसेना, हिंदू जागरण मंत्र जैसे 12 संगठन शामिल हैं.
रामनवमी के बाद बिहार के विभिन्न ज़िलों में फैली सांप्रदायिक हिंसा के एक महीने बाद इन इलाकों में हिंदू-मुस्लिमों के बीच किसी तरह का मनमुटाव या दुर्भावना नहीं दिखती.
प्रधानमंत्री के नाम लिखे एक पत्र में रिटायर्ड नौकरशाहों ने कहा कि यह पत्र केवल सामूहिक शर्म या अपनी पीड़ा को आवाज़ देने के लिए नहीं बल्कि सामाजिक जीवन में ज़बरदस्ती घुसा दिए गए घृणा और विभाजन के एजेंडा के ख़िलाफ़ लिखा गया है.
सांप्रदायिकता से इसलिए मत लड़िए कि कांग्रेस-बीजेपी करना है. ये पार्टियां या तो चुप रहकर सांप्रदायिकता करती हैं या फिर खुलेआम. इनके आने-जाने से यह लड़ाई कभी अंजाम पर नहीं पहुंचती है.
आज भले ही योगी आदित्यनाथ सियासी फ़ायदे के लिए संप्रदायों का ध्रुवीकरण करते हों, लेकिन हाल ही में सामने आए दो अप्रकाशित सिद्धांत बताते हैं कि 20वीं शताब्दी से पहले, नाथ संप्रदाय के सदस्य सत्ता पाने के लिए धार्मिक मेलजोल का सहारा लिया करते थे.
यशपाल सक्सेना, अकरम हबीब और मौलाना रशीदी ने बदले की कार्रवाई के बजाय इंसाफ़ को तरजीह दी है.
बुरक़ा और टोपी को मुसलमानों की प्रगति की राह में रोड़ा बताने वालों को अपने पूर्वाग्रहों के परदे हटाने की ज़रूरत है.
12वीं कक्षा की पॉलिटिकल साइंस की किताब के पिछले संस्करण में ‘फरवरी-मार्च 2002 में गुजरात में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी’, लिखा था. अब इसमें से मुस्लिम शब्द हटाकर ‘गुजरात में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई’ कर दिया गया है.
पुण्यतिथि विशेष: उस्ताद ऐसे बनारसी थे जो गंगा में वज़ू करके नमाज़ पढ़ते थे और सरस्वती को याद कर शहनाई की तान छेड़ते थे. इस्लाम में संगीत के हराम होने के सवाल पर हंसकर कहते थे, 'क्या हुआ इस्लाम में संगीत की मनाही है, क़ुरान की शुरुआत तो 'बिस्मिल्लाह' से ही होती है.'
केंद्र की मंज़ूरी के बाद मिलेगा अलग दर्जा. भाजपा ने हिंदुओं को बांटने का आरोप लगाया, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता येदियुरप्पा ने किया समर्थन.
2002 के गुजरात दंगों में अपनी ज़िंदगी बिखरते देख चुके प्रोफेसर जेएस बंदूकवाला मानते हैं कि भले ही देश भगवाकरण की ओर बढ़ रहा है, लेकिन इसके बावजूद अच्छे भविष्य की उम्मीद फीकी नहीं हुई है.
वीडियो: देश में बढ़ती सांप्रदायिक घटनाओं और बयानबाज़ी पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से द वायर के कार्यकारी संपादक बृजेश सिंह की बातचीत.