जब जेपी के जीवित रहते हुए संसद ने उन्हें श्रद्धांजलि दे दी थी…

गैरकांग्रेसवाद का सिद्धांत भले ही डाॅ. राममनोहर लोहिया ने दिया था लेकिन उसकी बिना पर कांग्रेस की केंद्र की सत्ता से पहली बेदखली 1977 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के तत्वावधान में ही संभव हुई.

अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों की काट के लिए गुजरात के ‘खाम’ को दोहराना होगा

गुजरात का विकास मॉडल एक भ्रम था. गुजरात दंगों के बाद मुस्लिम को अलग-थलग करने का जो प्रयोग शुरू हुआ, मोदी-शाह उसी के सहारे केंद्र में सत्ता में आए. आज यही गुजरात मॉडल सारे देश में अपनाया जा रहा है. 370 का मुद्दा उसी प्रयोग की अगली कड़ी है, जिसे मोदी शाह महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव में भुनाने जा रहे हैं.

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का दावा- भारत एक हिंदू राष्ट्र और यह नहीं बदल सकता

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दावा किया कि संगठन में एक ही विचारधारा सतत रूप से चलती चली आई है कि जो भारत भूमि की भक्ति' करता है, वही हिंदु है.

कांग्रेस का कर्तव्य धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करना है, सॉफ्ट हिंदुत्व से नहीं टलेगा संकट: थरूर

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि भाजपा की सफलता से भयभीत होने के बजाय कांग्रेस के लिए बेहतर होगा कि वह उन सिद्धांतों के लिए खड़ी हो, जिन पर उसने हमेशा ही विश्वास किया है.

असहिष्णुता और हिंसा की घटनाओं से राजनीतिक व्यवस्था को नुकसान पहुंच सकता है: मनमोहन सिंह

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 75वीं जयंती के मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में असिहष्णुता, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, कुछ समूहों द्वारा पैदा की गई घृणा तथा भीड़ द्वारा कानून अपने हाथ में लेने से जुड़ी हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं.

कश्मीर के भूगोल पर तो कब्ज़ा किया जा सकता है, पर कश्मीरियत का क्या होगा?

असुरक्षा का भाव समाज के सैन्यकरण की स्वीकृति का अनिवार्य तत्व होता है. सांप्रदायिक राजनीति उसके भीतर भी असुरक्षा बोध खड़ा करती है जिसके पक्ष में वह दिखना चाहती है और उसके भीतर भी, जिसे वह शत्रु के रूप में चित्रित करती है. कश्मीर में असुरक्षा की भावना का इस्तेमाल कश्मीरी हिंदुओं और कश्मीरी मुसलमानों दोनों के ख़िलाफ़ होता आ रहा है.

अगर तिरंगा फहराना ही देशभक्ति है तो संघ पंद्रह साल पहले ही देशभक्त हुआ है

क्या 2002 के पहले तिरंगा भारतीय राष्ट्र का राष्ट्रध्वज नहीं था या फिर आरएसएस खुद अपनी आज की कसौटी पर कहें तो देशभक्त नहीं था?

अगर यह हिंदू राष्ट्र नहीं है तो और क्या है?

उदारवादी बौद्धिक जमात के लिए भारत भले ही अब तक हिंदू राष्ट्र न बना हो, लेकिन गलियों में घूमनेवाले हिंदुत्ववादियों के लिए यह एक हिंदू राष्ट्र है. इसके लक्षण भले छिपे हुए हों, लेकिन इसके समर्थक और पीड़ित, दोनों ही बहुत ही स्पष्ट तरीके से इसका अनुभव कर सकते हैं.

समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले को लेकर किए अमित शाह के दावों में कितनी सच्चाई है?

गृहमंत्री अमित शाह का दावा है कि पिछली सरकार ने हिंदू धर्म को आतंकवाद से जोड़ने के लिए असली दोषियों को छोड़ दिया था, यदि ऐसा है तो एनआईए उन्हें पकड़ने की दिशा में कोई कदम क्यों नहीं उठा रही है?

विपक्ष को विनम्रता से स्वीकारना चाहिए कि वे राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर विकल्प देने में असमर्थ रहे हैं

लोकसभा चुनाव परिणाम यह बताते हैं कि तात्कालिक आर्थिक स्थितियां परिणामों को निर्धारित करनेवाला एकमात्र कारक नहीं होतीं, लोग अपने निर्णय उपलब्ध विकल्पों के आधार पर तय करते हैं.

क्या हिंदुत्ववादियों का भारतीय मुसलमानों को लेकर फैलाया गया झूठ हक़ीक़त में बदल सकता है

2014 के बाद से बिना किसी प्रमाण के देश के मुसलमानों को हिंदू-विरोधी और धार्मिक रूप से कट्टरपंथी बताया जा रहा है. लेकिन डर है कि अगले पांच सालों में उनमें से कुछ ऐसे चुनाव कर सकते हैं, जो उनके समुदाय के बारे में गढ़े गए झूठ को वास्तविकता में बदल देंगे.

‘बहुमत’ की खोज

पूर्व में बहुमत अंकगणित से हासिल होता था, जो सामाजिक समूहों को एक साथ जोड़कर होता था, यह बहुमत सिर्फ वैचारिक मंच पर ही नहीं, बल्कि सत्ता में सभी की भागीदारी का वादा करके हासिल होता था. 2014 में भाजपा ने ख़ुद को चुनावी अंकगणित से दूर कर लिया और ध्रुवीकरण की प्रक्रिया से राष्ट्रीय बहुमत हासिल किया.

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