इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने यह आदेश एक सीआरपीएफ कॉन्स्टेबल की याचिका पर दिया, जिसमें एकल-न्यायाधीश पीठ के आदेश को चुनौती दी गई थी. एकल पीठ ने सीआरपीएफ द्वारा जारी आदेश के ख़िलाफ़ कॉन्स्टेबल की अपील को ख़ारिज कर दिया था, जिसने उन्हें इस आधार पर पदोन्नति देने से इनकार कर दिया था कि वह एचआईवी पॉजिटिव पाए गए थे.
मामला फिरोज़ाबाद का है. एचआईवी पॉजिटिव महिला के परिवार का आरोप है कि सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने प्रसव पीड़ा के बावजूद कई घंटों तक उन्हें छूने से मना किया. अस्पताल प्रमुख के हस्तक्षेप के बाद महिला की डिलीवरी हुई, जिसके कुछ घंटे बाद ही नवजात की मौत हो गई. अस्पताल ने जांच के आदेश दिए हैं.
डासना जेल के अधीक्षक ने कहा कि यहां बंद 5,500 क़ैदियों में से 140 क़ैदी एचआईवी से ग्रस्त हैं और 35 क़ैदियों को टीबी है. वर्ष 2016 से औसतन 120 से 150 एचआईवी ग्रस्त कैदी जेल में रह रहे हैं.
उत्तर प्रदेश की बाराबंकी ज़िला जेल में एचआईवी पॉज़िटिव मिले इन 26 क़ैदियों में से दो की हालत ज़्यादा गंभीर होने पर लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उनका इलाज किया जा रहा है. जेल में 3,300 क़ैदी हैं. सीएमओ ने बताया है कि सभी क़ैदियों की जांच करने के प्रयास किए जा रहे हैं.
प्रदर्शनकारी राजधानी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) परिसर में पिछले एक महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं. इनका कहना है कि वे तब तक धरना जारी रखेंगे जब तक भारत में सभी एचआईवी मरीज़ों को एक महीने की दवाएं मिलनी शुरू नहीं हो जाती हैं.
वीडियो: जीवन रक्षक दवाओं की आपूर्ति में कमी को लेकर एचआईवी पॉज़ीटिव मरीज़ दिल्ली स्थित राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) में डेरा डालकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. 21 जुलाई से प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि एचआईवी के ख़िलाफ़ पहले और दूसरे चरण के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं की अत्यधिक कमी में है और ये लगभग छह महीने से उपलब्ध नहीं हैं.
देश में एचआईवी/एड्स से सबसे अधिक प्रभावित राज्य मिज़ोरम है, जहां 17,897 लोग इस रोग से प्रभावित हैं. राज्य में हर दिन एड्स के औसतन नौ नए मामले सामने आते हैं.
पुणे की एक फार्मा कंपनी द्वारा तीन साल पहले एचआईवी पॉज़िटिव होने की वजह से महिला कर्मचारी का इस्तीफ़ा मांगा गया था. श्रम अदालत ने उनकी नौकरी बहाल करते हुए कंपनी को बीते 3 सालों का वेतन और सुविधाएं देने का आदेश दिया है.