पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त वायुसैनिक को 2002 में एक सैन्य अस्पताल में ख़ून चढ़ाने के बाद एड्स संक्रमित होने के कारण 1.5 करोड़ रुपये से अधिक का मुआवज़ा देने का निर्देश दिया था. उनकी चिकित्सा स्थिति के कारण उन्हें सेवा से हटा दिया गया था. उन्हें व्यक्तिगत कलंक का भी सामना करना पड़ा, जिसके कारण उनका तलाक़ हो गया था.
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उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में सरकार द्वारा संचालित लाला लाजपत राय अस्पताल का मामला. अस्पताल के बाल रोग विभाग के प्रमुख और नोडल अधिकारी डॉ. अरुण आर्य ने कहा कि संक्रमित बच्चों में से सात में हेपेटाइटिस बी, पांच में हेपेटाइटिस सी और दो में एचआईवी की पुष्टि हुई है. उन्होंने कहा कि बच्चों में एचआईवी संक्रमण विशेष रूप से चिंताजनक है.
मामला फिरोज़ाबाद का है. एचआईवी पॉजिटिव महिला के परिवार का आरोप है कि सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने प्रसव पीड़ा के बावजूद कई घंटों तक उन्हें छूने से मना किया. अस्पताल प्रमुख के हस्तक्षेप के बाद महिला की डिलीवरी हुई, जिसके कुछ घंटे बाद ही नवजात की मौत हो गई. अस्पताल ने जांच के आदेश दिए हैं.
डासना जेल के अधीक्षक ने कहा कि यहां बंद 5,500 क़ैदियों में से 140 क़ैदी एचआईवी से ग्रस्त हैं और 35 क़ैदियों को टीबी है. वर्ष 2016 से औसतन 120 से 150 एचआईवी ग्रस्त कैदी जेल में रह रहे हैं.
देश में एचआईवी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की कमी को लेकर एक गैर सरकारी संगठन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके मांग की गई है कि केंद्रीय चिकित्सा सेवा समिति और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन एंटी-रेट्रोवायरल दवाओं की समय पर खरीदी करें.
उत्तर प्रदेश की बाराबंकी ज़िला जेल में एचआईवी पॉज़िटिव मिले इन 26 क़ैदियों में से दो की हालत ज़्यादा गंभीर होने पर लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उनका इलाज किया जा रहा है. जेल में 3,300 क़ैदी हैं. सीएमओ ने बताया है कि सभी क़ैदियों की जांच करने के प्रयास किए जा रहे हैं.
वीडियो: जीवन रक्षक दवाओं की आपूर्ति में कमी को लेकर एचआईवी पॉज़ीटिव मरीज़ दिल्ली स्थित राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) में डेरा डालकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. 21 जुलाई से प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि एचआईवी के ख़िलाफ़ पहले और दूसरे चरण के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं की अत्यधिक कमी में है और ये लगभग छह महीने से उपलब्ध नहीं हैं.
एक मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट में सूरत के एक केंद्रीय कारागार में कई क़ैदियों को टीबी होने की जानकारी सामने आने के बाद एनएचआरसी के एक दल ने जेल का दौरा किया था. बताया गया था कि जेल में उचित चिकित्सा के अभाव में 21 साल के एक विचाराधीन क़ैदी की 15 जुलाई 2020 को टीबी से मौत हो गई थी. अप्रैल 2019 में जेल में आने के वक़्त यह व्यक्ति स्वस्थ था.
एचआईवी/एड्स (रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम 2017 क़ानून का उद्देश्य एचआईवी/एड्स के प्रसार को नियंत्रित और इससे ग्रस्त लोगों के साथ होने वाले भेदभाव को कम करना था. लेकिन क़ानून आने के दो साल बाद भी इसकी नीतियों के क्रियान्वयन को लेकर अभी मसौदा तैयार किया जा रहा है.
देश में एचआईवी/एड्स से सबसे अधिक प्रभावित राज्य मिज़ोरम है, जहां 17,897 लोग इस रोग से प्रभावित हैं. राज्य में हर दिन एड्स के औसतन नौ नए मामले सामने आते हैं.
तमिलनाडु के विरुधुनगर ज़िले का मामला. सरकारी ब्लड बैंक का एक कर्मचारी बर्ख़ास्त और दो कर्मचारियों को निलंबित किया गया. महिला के पति ने घटना के लिए तमिलनाडु सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया.
पुणे की एक फार्मा कंपनी द्वारा तीन साल पहले एचआईवी पॉज़िटिव होने की वजह से महिला कर्मचारी का इस्तीफ़ा मांगा गया था. श्रम अदालत ने उनकी नौकरी बहाल करते हुए कंपनी को बीते 3 सालों का वेतन और सुविधाएं देने का आदेश दिया है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन को एचआईवी से ग्रस्त लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए बने क़ानून की अधिसूचना तत्काल जारी करने के संबंध में नोटिस जारी किया है.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एचआईवी और एड्स (रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम, 2017 को मंज़ूरी दी. ऐसा कानून बनाने वाला दक्षिण एशिया का पहला देश बना भारत.