गुजरात हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पोस्ट के बाद उन मीडिया रिपोर्ट्स पर स्वत: संज्ञान लिया था जिनमें परिसर में एक छात्रा से बलात्कार और एक समलैंगिक छात्र के यौन उत्पीड़न के बारे में बताया गया था. हाईकोर्ट ने घटनाओं के लिए संस्थान को दोषी ठहराते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्रों की आवाज़ दबाने में शामिल था.