कर्नाटक के बल्लारी ज़िला अस्पताल में एक 25 वर्षीय महिला की मौत हो गई, जिनकी बीते दिनों सीजेरियन डिलीवरी हुई थी. 9 नवंबर के बाद से अस्पताल में यह हुआ यह ऐसा पांचवां मामला है. परिजनों का आरोप है कि मौत प्रतिबंधित ग्लूकोज घोल देने और लापरवाही के कारण हुई है.
बिहार के आरा में सलेमपुर गांव स्थित एक स्कूल में गुरुवार दोपहर बच्चों को फाइलेरिया की दवा खिलाई गई थी. दवा खाने के कुछ देर बाद ही एक-एक करके बच्चे बीमार पड़ने लगे, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया.
मुंबई में बृहन्मुंबई नगर निगम द्वारा संचालित एक अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा सेलफोन टॉर्च का उपयोग करके सिजेरियन डिलीवरी करने के बाद एक गर्भवती और उसके शिशुकी मौत हो गई. परिवार का आरोप है कि प्रसूति गृह में बिजली चली गई और तीन घंटे तक जेनरेटर चालू नहीं किया गया.
मामला इंदौर का है, जहां 20 मार्च को चोइथराम नेत्रालय में सरकारी ख़र्च पर 79 मरीजों की मोतियाबिंद सर्जरी की गई थी. इसके अगले दिन 50 से 85 वर्ष की आयु के आठ मरीज़ों को आंखों में सूजन, जलन और आंखों की रोशनी कम होने की समस्या होने लगी.
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आईएमएस) के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. ओम शंकर का कहना है कि पिछले 15 वर्षों में उनके विभाग में मरीज़ों की आमद में 20 गुना बढ़ोतरी हुई है. उनका दावा है कि क़रीब दो साल में 30 हज़ार रोगी बेड न मिलने की वजह से बिना इलाज के लौट गए.
रीवा ज़िले का मामला. गणतंत्र दिवस के दिन एक सरकारी स्कूल में ध्वजारोहण समारोह के बाद बच्चों को पूड़ी-सब्जी और लड्डू परोसे गए थे, जिसे खाने के बाद कइयों की तबियत बिगड़ने लगी. सीएमएचओ ने कहा है कि खाद्य सामग्री का सैंपल लेकर जांच करवाई जाएगी, जिसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी.
राजस्थान के जोधपुर शहर स्थित एमडीएम अस्पताल का मामला. कैंसर से पीड़ित मरीज़ अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में वेंटिलेटर पर थे, जब बिजली कटौती से कथित तौर पर ऑक्सीजन आपूर्ति बाधित होने के बाद उनकी मौत हो गई. मरीज़ के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही से मौत का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया.
उत्तर प्रदेश के बदायूं स्थित ज़िला महिला अस्पताल का मामला. आरोप है कि अस्पताल के कर्मचारियों ने महिला के परिजनों से जांच के लिए 5,000 रुपये की मांग की थी. पैसे नहीं होने के कारण उन्होंने महिला को भर्ती करने से इनकार कर दिया. ज़िला मजिस्ट्रेट ने कहा कि घटना की जांच के आदेश दिए गए हैं.
पश्चिम बंगाल के मालदा ज़िले में एक बीमार महिला को चारपाई पर लिटाकर उनके परिजन अस्पताल ले जा रहे थे, जब उन्होंने दम तोड़ दिया. उनके पति ने बताया कि उन्होंने एंबुलेंस सेवा प्रदाताओं के अलावा अन्य वाहन संचालकों से पत्नी को अस्पताल पहुंचाने का अनुरोध किया था, लेकिन सड़कों की खराब स्थिति के कारण कोई भी आने को तैयार नहीं हुआ.
लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में बांदा के पूर्व सांसद भैरों प्रसाद मिश्रा के 40 वर्षीय बेटे प्रकाश मिश्रा का 28 अक्टूबर को निधन हो गया. आरोप है कि ड्यूटी अधिकारी ने कोई आपातकालीन बिस्तर उपलब्ध नहीं होने का हवाला देते हुए भर्ती करने से इनकार कर दिया था. सोमवार को लखनऊ प्रशासन ने कथित तौर पर घटना की 'उच्च स्तरीय जांच' शुरू की है.
ओडिशा के कटक स्थित एससीबी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ने घोषणा की है कि वह अपने सभी आईसीयू के अंदर ‘आध्यात्मिक भजन’ बजाएगा. अस्पताल के स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, गंभीर मरीज़ों के लिए धीमी आवाज़ वाला इंस्ट्रूमेंटल भजन काफी कारगर रहेगा.
एक अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में मंगलवार सुबह आठ बजे तक 24 घंटे के भीतर कम से कम 18 मौत दर्ज की गईं. इससे पहले नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में 30 सितंबर से दो अक्टूबर तक 48 घंटे में 31 मौतें दर्ज की गई थीं.
महाराष्ट्र के नांदेड़ के एक सरकारी अस्पताल में चौबीस घंटों में 24 लोगों की मौत को लेकर विपक्षी नेताओं ने एकनाथ शिंदे सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि यह घटना सरकारी प्रणालियों की विफलता को उजागर करती है. इन नेताओं ने भविष्य में मरीज़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख़्त कार्रवाई करने की मांग की है.
महाराष्ट्र के नांदेड़ स्थित डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 30 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच 24 घंटों में 12 नवजात शिशुओं सहित 24 लोगों की मौत हुई है. पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस विधायक अशोक चव्हाण के पिता के नाम पर यह अस्पताल है. उन्होंने अस्पताल का दौरा करने के बाद कहा स्थिति चिंताजनक है. अस्पताल वित्तीय संकट में है.
ओडिशा के क्योंझर ज़िले के आनंदपुर का मामला. आरोप है कि 37 वर्षीय महिला को बीते 20 जनवरी की सुबह एक पुलिस वैन से आनंदपुर अनुमंडलीय अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी चिकित्सकीय जांच करने से इसलिए इनकार कर दिया, क्योंकि अपराध की घटना सलानिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र क्षेत्र के अंतर्गत हुई थी.