सितंबर में केरल हाईकोर्ट में कम से कम तीन ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें से दो में मेडिकल बोर्ड ने गर्भावस्था समाप्त करने की सिफ़ारिश की थी, जिसके बाद कोर्ट ने इसकी अनुमति दे दी. तीसरे मामले में नाबालिग बलात्कार पीड़िता के आठ सप्ताह के भ्रूण को समाप्त करने की अनुमति मांगी गई है.
हाईकोर्ट ने यह आदेश नाबालिग बलात्कार पीड़िता और उनके माता-पिता की उस याचिका पर दिया है, जिसमें उन्होंने गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने के लिए अस्पताल को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था. अदालत ने कहा कि एक गर्भवती की गर्भावस्था जारी रखने या समाप्त करने का चयन करने की स्वतंत्रता छीनी नहीं जा सकती.
दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल में 23-24 अप्रैल की दरमियानी रात कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी के कारण 21 मरीज़ों की मौत हो गई थी. मरीजों के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करने की मांग करते हुए याचिका दायर कर कहा है कि पुलिस ने दुर्भावनापूर्ण इरादे से न तो उन्हें गिरफ़्तार किया और न ही उनके ख़िलाफ़ जांच शुरू की.
उत्तर प्रदेश की तीन दिन की यात्रा के दौरान बीते 25 जून को कानपुर में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की विशेष ट्रेन के गुज़रने के दौरान रोके गए ट्रैफिक से लगे जाम में फंसकर इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के कानपुर चैप्टर की अध्यक्ष वंदना मिश्रा की जान चली गई थी. इसी दिन राष्ट्रपति की सुरक्षा व्यवस्था के लिए जा रहे सीआरपीएफ के तेज़ रफ़्तार वाहन ने एक बाइक को टक्कर मार दी थी, जिससे एक तीन साल की मासूम की मौत हो
उत्तर प्रदेश के कानपुर में बीते 25 जून को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का काफ़िला के गुज़रने के दौरान ट्रैफिक में फंसी एक महिला की अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई थी. मृतक की पहचान इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की कानपुर इकाई की महिला विंग की प्रमुख वंदना मिश्रा के रूप में हुई थी. वह कोविड-19 जटिलताओं से जूझ रही थीं. पुलिस के अनुसार, घटना को लेकर राष्ट्रपति ने भी खेद प्रकट किया है. चार पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है.
उत्तर प्रदेश में हरदोई ज़िले के संडीला से भाजपा विधायक राजकुमार अग्रवाल के बेटे की बीते 26 अप्रैल को लखनऊ के काकोरी स्थित एक अस्पताल में मौत हो गई थी. वह कोविड-19 से संक्रमित थे. विधायक का आरोप है कि उनके बेटे की मौत अस्पताल की लापरवाही से हुई है. उनका कहना है कि इस संबंध में वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, स्वास्थ्य मंत्री डीजीपी और पुलिस आयुक्त से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ.
मोदी सरकार द्वारा कोरोना वायरस को लेकर बनाए गए वैज्ञानिक सलाहकार समूह के अध्यक्ष शाहिद जमील ने पिछले कुछ महीनों में कई बार इस बात को लेकर नाराज़गी ज़ाहिर की थी कि कोरोना संक्रमण को लेकर नीतियां बनाते वक़्त विज्ञान को तरजीह नहीं दी जा रही है, जो अत्यधिक चिंता का विषय है.
कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप के दौरान दवा, ऑक्सीजन आदि की कमी जानलेवा साबित हो रही है, लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है, जिसे अस्पताल की चौखट और इलाज तक सहज पहुंच भी मयस्सर नहीं है.
इस कठिन वक़्त में सरकारों की काहिली तो अपनी जगह पर है ही, लोगों का आदमियत से परे होते जाना भी पीड़ितों की तकलीफों में कई गुनी वृद्धि कर रहा है. इसके चलते एक और बड़ा सवाल विकट होकर सामने आ गया है कि क्या इस महामारी के जाते-जाते हम इंसान भी रह जाएंगे?
कोरोना वायरस की दूसरी लहर और दिल्ली में जारी लॉकडाउन के बीच सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत नई संसद के निर्माण का काम ज़ोर-शोर से जारी है, जिसकी विपक्ष के नेता लगातार आलोचना कर रहे हैं. दुनिया भर के प्रसिद्ध विद्वानों, कलाकारों, लेखकों आदि ने भी कोविड-19 के कारण पैदा हुए जनस्वास्थ्य आपातकाल के दौरान भारत सरकार की इस योजना को तत्काल रोकने की मांग की है.
कनार्टक हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि अगर टीके की खुराक की पर्याप्त संख्या की ख़रीद के लिए तत्काल क़दम नहीं उठाए गए हैं, तो टीकाकरण के मूल उद्देश्य के विफल होने की संभावना है, जो कोविड-19 के प्रसार पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है. कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि वह 45 वर्ष से अधिक आयु के 26 लाख लाभार्थियों को किस तरह से टीके उपलब्ध कराने वाली है, जबकि वैक्सीन की केवल 9.37 लाख खुराक उपलब्ध
बीते 30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिस तरह से केंद्र सरकार की वर्तमान वैक्सीन नीति को बनाया गया है, इससे प्रथमदृष्टया जनता के स्वास्थ्य के अधिकार को क्षति पहुंचेगी, जो कि संविधान के अनुच्छेद 21 का एक अभिन्न तत्व है. सुप्रीम कोर्ट ने वैक्सीन निर्माता कंपनियों द्वारा अलग-अलग कीमत तय करने के संबंध में केंद्र से जानकारी मांगी थी.
शीर्ष अदालत ने कहा कि विभिन्न वर्गों के नागरिकों के बीच भेदभाव नहीं किया जा सकता है, जो समान हालात का सामना कर रहे हैं. केंद्र सरकार 45 साल और उससे अधिक उम्र की आबादी के लिए मुफ़्ते कोविड टीके प्रदान करने का भार वहन करेगी, राज्य सरकारें 18 से 44 आयु वर्ग की ज़िम्मेदारी का निर्वहन करेंगी, ऐसी शर्तों पर बातचीत कर सकते हैं. केंद्र को अपनी मौजूदा टीका नीति पर फिर से ग़ौर करना चाहिए.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत 13 दलों के नेताओं ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि केंद्र सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करें.
कोविड-19 प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए स्वत: संज्ञान मामले पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने साफ किया कि सोशल मीडिया पर लोगों से मदद के आह्वान सहित सूचना के स्वतंत्र प्रवाह को रोकने के किसी भी प्रयास को न्यायालय की अवमानना माना जाएगा.