गुपकर घोषणा-पत्र गठबंधन ने जम्मू संभाग में विधानसभा की छह और कश्मीर में एक सीट बढ़ाने के परिसीमन आयोग के प्रस्ताव के ख़िलाफ़ शनिवार को श्रीनगर में प्रदर्शन करने की बात कही थी. प्रस्तावित धरने से पहले शीर्ष नेताओं को कथित तौर पर हिरासत में लिए जाने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के कार्यकर्ताओं ने श्रीनगर में अलग-अलग विरोध मार्च निकाला.
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने इसे 'राजनीतिक प्रतिशोध' बताते हुए कहा कि जब भी वो किसी ग़लत काम के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाती हैं, कोई न कोई समन उनके परिवार के किसी सदस्य का इंतज़ार कर रहा होता है.
पीडीपी नेता नईम अख़्तर को नज़रबंदी से रिहा करने का यह क़दम 24 जून को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली सर्वदलीय बैठक से पहले उठाया गया है, जिसमें शामिल होने को लेकर पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस सहित मुख्यधारा के क्षेत्रीय दलों के भीतर विचार-विमर्श चल रहा है. यह बैठक विधानसभा चुनाव कराने सहित राजनीतिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने की केंद्र की पहल के तहत बुलाई गई है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने रविववार को एक ट्वीट में कहा, 'अगस्त 2019 के बाद यह नया जम्मू कश्मीर है. हमें बिना कारण बताए हमारे घरों में क़ैद कर दिया गया है.' वहीं श्रीनगर पुलिस का कहना है कि पुलवामा हमले की बरसी के चलते वीआईपी और अन्य लोगों की आवाजाही कम की गई है.
बीते 22 अगस्त को जम्मू कश्मीर छह क्षेत्रीय पार्टियों ने संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के फ़ैसले को असंवैधानिक क़रार देते हुए इसकी बहाली के लिए मिलकर संघर्ष करने के लिए गठबंधन का ऐलान किया था और एक घोषणा-पत्र जारी किया था.
जम्मू कश्मीर के छह दल अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के फ़ैसले को असंवैधानिक क़रार देते हुए इसकी बहाली के लिए एकजुट हुए हैं. गठबंधन ने जम्मू कश्मीर राज्य के झंडे को अपने निशान के रूप में अपनाते हुए बीते एक साल के शासन पर श्वेतपत्र जारी करने की बात कही है.
जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से कहा गया है कि ज़िला विकास परिषद के ज़रिये स्थानीय सरकार और मज़बूत होगी. हालांकि कश्मीर के राजनीतिक दलों का कहना है कि इसका उद्देश्य राजनीति ख़त्म करना है.
केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया कि एक आदेश जारी कर पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य की विधानसभा द्वारा लागू किए गए कुछ क़ानूनों में नामों और कुछ शब्दों में बदलाव किया गया है.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने लोकसभा में बताया कि 29 जून 2018 से चार अगस्त 2019 के बीच 402 दिनों में जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की 455 घटनाएं हुई थीं, जबकि पांच अगस्त 2019 से नौ सितंबर 2020 के बीच 402 दिनों में ऐसी 211 घटनाएं हुईं.
सरकार द्वारा नेताओं के नज़रबंद होने और उनके आने-जाने पर पाबंदी न होने के दावों के उलट पीडीपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी की एक बैठक इसलिए रद्द करनी पड़ी क्योंकि पुलिस ने पार्टी नेताओं को घर से निकलने नहीं दिया. जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद यह पीडीपी की पहली बैठक थी.
नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस तथा तीन अन्य दलों ने जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए मिलकर लड़ने का ऐलान करते हुए एक घोषणापत्र जारी किया था. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के इसे समर्थन देने की बात पर पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने यह टिप्पणी की है.
केंद्र सरकार द्वारा जारी नए नियमों के ज़रिये केंद्रशासित जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र से कई विभाग वापस ले लिए गए हैं और इसके चलते महत्वपूर्ण मामलों में उप-राज्यपाल के ज़रिये केंद्र अप्रत्यक्ष रूप से अंतिम निर्णायक विभाग होगा.
जम्मू कश्मीर के मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि वे संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली, जम्मू कश्मीर के संविधान और राज्य की बहाली के लिए प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और राज्य का कोई भी विभाजन उनके लिए अस्वीकार्य है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फ़ारूक़ अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने 13 जुलाई को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में अपनी पार्टी के 16 नेताओं और कार्यकर्ताओं को नज़रबंद रखे जाने के ख़िलाफ़ 16 बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं दाख़िल कर उन्हें रिहा करने की मांग की थी.
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस पार्टी के अध्यक्ष सज्जाद लोन को पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही नज़रबंद रखा गया था.