झारखंड हाईकोर्ट ने वैवाहिक विवाद में गुज़ारा-भत्ता राशि में संशोधन को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए एक संतुलन बनाने पर ज़ोर दिया, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि पत्नी को दिया जाने वाला गुज़ारा भत्ता बहुत अधिक न हो, जिससे पति को कठिनाई हो, न ही कम हो, जो पत्नी को ग़रीबी में धकेल दे.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार, देश में 18-49 आयुवर्ग की 32% विवाहित महिलाओं ने शारीरिक, यौन या भावनात्मक वैवाहिक हिंसा का सामना किया है. रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के ख़िलाफ शारीरिक हिंसा के 80% से अधिक मामलों में अपराधी उनके पति रहे हैं.
हाईकोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं के हक़ में महत्वपूर्ण फ़ैसला देते हुए कहा है कि तलाक़शुदा मुस्लिम महिलाओं को भी सीआरपीसी की धारा 125 के तहत पति से गुज़ारा-भत्ता पाने का अधिकार है और वे इद्दत की अवधि के बाद भी इसे प्राप्त कर सकती हैं. हालांकि यह हक़ उन्हें तब ही तक है, जब तक वे दूसरी शादी नहीं करतीं.
मध्य प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने कहा कि महिलाओं को मिलने वाली लंबी शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के बाद मुआवज़ा उनके ज़ख़्मों की भरपाई नहीं कर सकता. बेहतर होता कि राज्य सरकार बेतहाशा बढ़ रही घरेलू हिंसा की घटनाओं को रोकने की दिशा में ठोस और कारगर क़दम उठाती.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के रिपोर्ट के मुताबिक़, जम्मू कश्मीर में अपने साथ हुई घरेलू हिंसा के बारे में न बताने वाली महिलाओं का अनुपात 80 प्रतिशत से अधिक रहा. आठ राज्यों में दस प्रतिशत से भी कम महिलाओं ने शारीरिक हिंसा से बचने के लिए मदद मांगी.
देश के 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में किए गए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में पूछा गया था कि क्या पति का पत्नी को मारना-पीटना सही है. सर्वे में शामिल राज्यों में से एक तेलंगाना की 83.8 फीसदी महिलाओं ने इसे जायज़ कहा, वहीं कर्नाटक में 81.9 फीसदी पुरुषों ने इस तरह के व्यवहार को सही ठहराया.