बीते 5 फरवरी को मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने घोषणा की थी कि भारत अपने सैन्यकर्मियों को ‘वापस बुलाने’ पर सहमत हो गया है. भारतीय विदेश मंत्रालय के आधिकारिक बयान में विवरण नहीं दिया गया और केवल इतना कहा गया कि दोनों देश ‘पारस्परिक रूप से व्यावहारिक समाधानों के एक सेट पर सहमत हुए हैं.
मालदीव के मंत्रियों द्वारा भारत के प्रधानमंत्री को लेकर की गईं अपमानजनक टिप्पणियां कोई फौरी प्रतिक्रिया थीं या इनकी वजह कहीं गहरी है?
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद मालदीव की जगह देश के द्वीपीय स्थानों पर पर्यटन को बढ़ावा देने का अभियान शुरू हो गया था. इस दौरान मालदीव के नेताओं और अन्य का भारतीयों के साथ सोशल मीडिया पर विवाद हो गया था, जिसके बाद पीएम मोदी पर टिप्पणी के लिए मालदीव ने अपने तीन मंत्रियों को निलंबित कर दिया था.
मालदीव के विपक्षी दल प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव के प्रमुख पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन बीते लगभग एक साल से ‘इंडिया आउट’ अभियान की अगुवाई कर रहे थे. यह अभियान इस अप्रमाणित दावे की वजह से चल रहा था कि यहां भारतीय सैन्य अधिकारियों की तैनाती मालदीव की संप्रभुता का उल्लंघन है. मालदीव के विदेश और रक्षा मंत्रालयों ने बार-बार इस द्वीपीय देश में भारतीय सेना की मौजूदगी से इनकार किया है.