स्मृति शेष: कलाकार के लिए ज़रूरी है वो अपनी रूह पर किरदार का लिबास ओढ़ ले. किरदार दर किरदार रूह लिबास बदलती रहे, देह वही किरदार नज़र आए. सतीश कौशिक को ये बख़ूबी आता था.
अभिनेता और फिल्म निर्देशक सतीश कौशिक का जन्म 13 अप्रैल 1956 को हरियाणा के महेंद्रगढ़ में हुआ था. वह नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) और फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) के पूर्व छात्र थे. उन्होंने अपना करिअर थियेटर से शुरू किया था. हास्य अभिनेता के तौर पर कौशिक ने काफी लोकप्रियता हासिल की थी.
रंगमंच, टेलीविजन और फिल्मों में अभिनय करने वाले विक्रम गोखले ने कई मराठी और हिंदी फिल्मों में अपनी पहचान बनाई थी. उनकी परदादी दुर्गाबाई कामत भारतीय सिनेमा की पहली महिला अभिनेत्री थीं, जबकि दादी कमलाबाई गोखले भारतीय सिनेमा की पहली महिला बाल कलाकार थीं.
अरुण बाली को धारावाहिक ‘स्वाभिमान’ और फिल्म ‘3 इडियट्स’ में निभाए उनके किरदार के लिए काफी सराहना मिली थी. वह ‘राजू बन गया जेंटलमैन’, ‘खलनायक’, ‘सत्या’, ‘हे राम’, ‘लगे रहो मुन्ना भाई’, ‘बर्फी’, ‘मनमर्ज़ियां’, ‘केदारनाथ’, ‘सम्राट पृथ्वीराज’ और ‘लाल सिंह चड्ढा’ जैसी फिल्मों में भी नज़र आए थे.
‘गदर: एक प्रेम कथा’, ‘कोई मिल गया’ और ‘रेडी’ फिल्म जैसी फिल्मों में काम कर चुके मिथिलेश चतुर्वेदी को 10 दिन पहले दिल का दौरा पड़ने के कारण मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
सलीम ग़ौस ने अपने अभिनय की शुरुआत 1978 में फिल्म स्वर्ग नरक से की थी, जिसके बाद उन्होंने चक्र, सारांश, मोहन जोशी हाज़िर हो जैसी कई अन्य फिल्मों में अभिनय किया था. उन्होंने श्याम बेनेगल की टीवी सीरीज़ भारत एक खोज में राम, कृष्ण और टीपू सुल्तान की भूमिकाएं निभाई थीं. साथ वह दूरदर्शन के प्रसिद्ध धारावाहिक वागले की दुनिया का भी हिस्सा थे.
प्रवीण कुमार सोबती 20 साल की उम्र में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में भर्ती हुए थे, जहां पहली बार उनके एथलेटिक कौशल के लिए उनकी सराहना की गई. इसके बाद उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक प्रतियोगिताओं में हैमर थ्रो और डिस्कस थ्रो स्पर्धा में देश का प्रतिनिधित्व किया और एशियाई खेलों में चार पदक भी जीते. प्रवीण ने 1966 और 1970 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था.
रमेश देव ने 1962 में आई फिल्म ‘आरती’ में एक खलनायक की भूमिका निभाकर हिंदी सिनेमा में अपनी यात्रा शुरू की थी. इसके बाद उन्होंने अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, शत्रुघ्न सिन्हा और हेमा मालिनी और धर्मेंद्र जैसे सितारों के साथ यादगार भूमिकाएं कीं. उनके नाम कई लोकप्रिय फिल्में दर्ज हैं, जिनमें कल्ट क्लासिक- ‘आनंद’, ‘आप की कसम’, ‘मेरे अपने’ और ‘ड्रीम गर्ल’ जैसी फिल्में भी शामिल हैं.
गए बरस इरफ़ान के जनाज़े में शामिल न होने का मलाल लिए जब साल भर बाद मैं उनकी क़ब्र पर पहुंचा तो ज़िंदगी-मौत, सच और झूठ के अलावा मोहब्बत पर भी बात निकली. और जो निकली तो फिर दूर तलक गई.
साल 2018 में ऋषि कपूर के कैंसर से पीड़ित होने के बारे में पता चला था. इसके बाद वे इलाज के लिए अमेरिका चले गए थे और क़रीब एक साल वहां रहने के बाद पिछले साल सितंबर में मुंबई लौटे थे.
साल 2018 में न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर होने के बाद इरफ़ान ख़ान के स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो सका था. इरफ़ान की 95 वर्षीय मां का चार दिन पहले ही जयपुर में इंतकाल हो गया था. लॉकडाउन के कारण वह उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके थे.