विचारधाराएं साहित्य से नहीं उपजतीं, फिर भी साहित्य को अपना उपनिवेश बनाने की चेष्टा करती हैं

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: धर्म का छद्म करती विचारधारा ‘हिंदुत्व’ कहलाती है. उसके प्रभाव में भारतीय समाज जितना सांप्रदायिक धर्मांध और हिंसक आज है उतना पहले कभी नहीं हुआ.

नैयरा नूर: सरहदों को घुलाती आवाज़

नैयरा नूर की पैदाइश हिंदुस्तान की थी, पर आख़िरी सांसे उन्होंने पाकिस्तान में लीं. वे इन दोनों मुल्कों की साझी विरासत की उन गिनी चुनी कड़ियों में थी, जिन्हें दोनों ही देश के संगीत प्रेमियों ने तहे-दिल से प्यार दिया.

किशोरी अमोणकर: सुर का कोई घराना नहीं होता…

जन्मदिन विशेष: हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन की कोई चर्चा किशोरी अमोणकर के बगैर अधूरी रहती है. संगीत उनके लिए महज़ पारंगत होने का माध्यम नहीं बल्कि साधना का विषय था.

उस्ताद राशिद ख़ान: वो कलाकार जिसका पूरा जीवन संगीत की साधना में बीता…

स्मृति शेष: हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत घरानों का रिवाज़ है और गायक अपने घराने की विशिष्टता को अभिव्यक्त करते हैं, ऐसे में उस्ताद राशिद ख़ान की गायकी न केवल उनके अपने घराने की प्रतिनिधि थी, बल्कि उस पर अन्य घरानों और तहज़ीबों का भी प्रभाव था. 

हबीब तनवीर के रंगमंच में साधारण की महिमा का रंगसंसार प्रगट होता है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हबीब तनवीर का रंगमंच असाधारण रूप से गाता-नाचता-भागता-दौड़ता रंगमंच था. प्रश्नवाचक और नैतिक होते हुए भी वह आनंददायी था. उनके यहां नाटक लीला है और कई बार वह आधुनिकता की गुरुगंभीरता को मुंह चिढ़ाता भी लगता है.

मशहूर सितारवादक पंडित देबू चौधरी का कोविड संबंधी जटिलताओं के चलते निधन

भारत के प्रख्यात सितारवादकों में से एक देबू चौधरी संगीत के सेनिया घराना से थे. उन्हें पद्म भूषण, पद्मश्री के अलावा संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. बीते 25 अप्रैल को बनारस घराने के प्रख्यात हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक पंडित राजन मिश्र का दिल्ली के एक अस्पताल में कोविड-19 समस्याओं के चलते निधन हो गया.

बंटवारे के बाद हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत हमेशा के लिए बदल गया

जब सत्ता यह तय करती है कि जनता क्या सुन सकती है, क्या गा सकती है, तब संगीत और संगीतकारों को अपना रास्ता बदलना पड़ता है या ख़त्म हो जाना पड़ता है.

प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार अन्नपूर्णा देवी का निधन

पद्मभूषण से सम्मानित अन्नपूर्णा देवी पिछले कई वर्षों से उम्र संबंधी बीमारियों में जूझ रही थीं. उस्ताद ‘बाबा’ अलाउद्दीन ख़ान की बेटी और शिष्य थीं. प्यार से लोग उन्हें ‘मां’ बुलाते थे.

उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ान: भारतीय संगीत का संत कबीर

पुण्यतिथि विशेष: उस्ताद ऐसे बनारसी थे जो गंगा में वज़ू करके नमाज़ पढ़ते थे और सरस्वती को याद कर शहनाई की तान छेड़ते थे. इस्लाम में संगीत के हराम होने के सवाल पर हंसकर कहते थे, 'क्या हुआ इस्लाम में संगीत की मनाही है, क़ुरान की शुरुआत तो 'बिस्मिल्लाह' से ही होती है.'