वीडियो: बीते 9 साल में भारत का क़र्ज़ा अगर 100 लाख करोड़ बढ़ा है, तो यह गया कहां? क़र्ज़ बढ़ने का भारत के लोगों को क्या फायदा हुआ? बीते 9 साल में टैक्स कलेक्शन में 3 गुना की बढ़ोतरी हुई है? इसे किस तरह देखा जाना चाहिए?
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि मई 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से क़र्ज़ का बोझ 100 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ गया है. 67 वर्षों में 14 प्रधानमंत्रियों के रहते क़र्ज़ 55 लाख करोड़ रुपये था, जबकि मोदी कार्यकाल में इसमें 100 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि देखी गई है.
वीडियो: महज 10 दिनों के भीतर अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा बैंक सिलिकॉन वैली बैंक डूबा, फिर तीसरा सबसे बड़ा सिग्नेचर बैंक. इसके बाद यूरोप में 166 साल पुराने स्विट्जरलैंड के दूसरे सबसे बड़े बैंक क्रेडिट सुईस की भी नैया डूब गई. दुनिया की अर्थव्यवस्था के साथ भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा?
कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि ‘मोदीनॉमिक्स’ के कारण सरकार के क़र्ज़ में भारी वृद्धि ने आम लोगों को कुचल दिया है. उन्होंने कहा कि आज़ादी से लेकर 2014 तक देश पर 55 लाख करोड़ रुपये का क़र्ज़ था. 2014 से 2023 के बीच यह बढ़कर 155 लाख करोड़ रुपये हो गया. आज हर नागरिक पर 1 लाख 9 हज़ार रुपये का क़र्ज़ है.
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आने का मुख्य कारण यह है कि वैश्विक घटनाक्रमों की वजह से रुपये की गिरावट को थामने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक इस भंडार से मदद ले रहा है. एक साल पहले अक्टूबर, 2021 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था.
एक कार्यक्रम में बेरोज़गारी को लेकर नोबल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा है कि हमारी शिक्षा प्रणाली का प्रमुख उद्देश्य सरकारी नौकरी पाना है. हालांकि, लगभग 98 प्रतिशत उम्मीदवार इन नौकरियों को पाने में सफल नहीं होते हैं, जिससे बेरोज़गार युवाओं की संख्या में बढ़ोतरी होती है.
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सवाल किया कि क्या सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक ने साल 2016 में 500 और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने की नीति के माध्यम से काले धन, आतंकवाद के वित्तपोषण और नकली मुद्रा को रोकने के अपने घोषित उद्देश्यों को साध लिया है.
डॉलर के मुकाबले रुपये की क़ीमत के रिकॉर्ड स्तर पर गिरने के बाद भारतीय मुद्रा की स्थिति को लेकर जताई जा रही चिंताओं के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि गिरावट के मौजूदा दौर में डॉलर के मुक़ाबले अन्य मुद्राओं की स्थिति पर भी अध्ययन करने की ज़रूरत है.
आईआईएम अहमदाबाद में हुए एक कार्यक्रम के दौरान छात्रों से बातचीत करते हुए इंफोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने कहा कि मनमोहन सिंह एक असाधारण व्यक्ति हैं लेकिन यूपीए सरकार के दौर में भारत में आर्थिक गतिविधियां 'ठहर' गईं थीं और निर्णय नहीं लिए जा रहे थे.
आर्थिक शोध संस्थान सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में रोज़गार पिछले महीने की तुलना में 20 लाख घटकर 39.46 करोड़ रह गया. इस दौरान शहरी बेरोज़गारी दर बढ़कर 9.6 प्रतिशत और ग्रामीण बेरोज़गारी दर बढ़कर 7.7 प्रतिशत हो गई.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लिखे एक आलेख में कहा कि विभाजनकारी राजनीति तात्कालिक फ़ायदा भले पहुंचाए लेकिन यह देश की प्रगति में बाधा खड़ी करती है.
वीडियो: संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 तक भारत की जनसंख्या चीन से अधिक हो जाएगी. इसके बाद भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा. इसका रोजगार पर कितना असर पड़ेगा, इसकी पड़ताल करती यह रिपोर्ट.
आर्थिक शोध संस्थान सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों के अनुसार, जून महीने में रोज़गार में कमी से ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोज़गारी दर बढ़कर 8.03 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो मई में 7.30 प्रतिशत थी. शहरी क्षेत्रों में स्थिति कुछ बेहतर रही और बेरोज़गारी दर 7.3 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि मई में यह 7.12 प्रतिशत थी.
पिछले पांच वर्षों में जीएसटी क़ानून निश्चित रूप से बदलाव हुए हैं और समय-समय पर संशोधनों के ज़रिये करदाताओं के सामने आने वाले कई मुद्दे स्पष्ट हुए हैं. लेकिन अब भी कई ऐसे मसले बाक़ी हैं जो जीएसटी व्यवस्था के अमल को प्रभावित करते हैं.
थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पिछले साल अप्रैल से लगातार 14वें महीने दो अंक में यानी 10 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है और तीन महीनों से लगातार बढ़ रही है. अप्रैल 2021 में यह 10.74 फ़ीसदी थी.