थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पिछले साल अप्रैल से लगातार 14वें महीने दो अंक में यानी 10 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है और तीन महीनों से लगातार बढ़ रही है. अप्रैल 2021 में यह 10.74 फ़ीसदी थी.
अप्रैल में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'निर्यात केंद्रित अर्थव्यवस्था' के निर्माण के सपने की बात की थी, लेकिन एक महीने के भीतर ही केंद्र सरकार ने गेहूं, कपास, चीनी और स्टील पर निर्यात प्रतिबंध लगा दिए हैं.
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद बताया कि बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया गया है. केंद्रीय बैंक के इस क़दम से ऋण महंगा होगा और क़र्ज़ की मासिक किस्त यानी ईएमआई बढ़ेगी.
थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 14.55 प्रतिशत और पिछले साल अप्रैल में 10.74 फीसदी थी. अप्रैल 2021 से यह लगातार 13वें महीने दहाई के अंक में बनी हुई है. पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों में बताया गया था कि खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई है.
सोमवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 60 पैसे टूटकर रिकॉर्ड निचले स्तर 77.50 पर बंद हुआ. इसे लेकर केंद्र पर निशाना साधते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री देश की आर्थिक और सामाजिक वास्तविकताओं को छिपाकर नहीं रख सकते. अब उन्हें अर्थव्यवस्था के प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए न कि मीडिया की सुर्ख़ियों के प्रबंधन पर.
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण ईंधन और खाद्य वस्तुओं के दाम में तेज़ी तथा कोविड-19 महामारी से जुड़ी आपूर्ति संबंधी बाधाओं के कारण मुद्रास्फीति लगातार तीसरे महीने आरबीआई के 6 प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है. लगभग दो वर्षों में रिज़र्व बैंक की प्रमुख उधार दरों में यह पहला बदलाव है. आरबीआई ने पिछली बार 22 मई, 2020 को अपनी नीतिगत रेपो दर को संशोधित किया था.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की ओर से जारी आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल में शहरी बेरोज़गारी दर बढ़कर 9.22 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीने 8.28 प्रतिशत थी, जबकि ग्रामीण बेरोज़गारी दर 7.29 प्रतिशत से घटकर 7.18 प्रतिशत हो गई.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, आठ बुनियादी उद्योगों- कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली की वृद्धि दर मार्च 2022 में 4.3 प्रतिशत रही. इसके एक महीने पहले फरवरी में इन उद्योगों की वृद्धि दर छह प्रतिशत रही थी.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की एशिया और प्रशांत विभाग की कार्यवाहक निदेशक ने कहा है कि अनुमानों के मुताबिक़ 2022-23 में भारत की अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है, जो कि 0.8 प्रतिशत अंक कम है.
आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन ने स्वीकार किया जब प्रमुख ब्याज दर यानी नीतिगत दर बढ़ानी पड़ती है, कोई भी खुश नहीं होता. उन्होंने राजनेताओं और नौकरशाहों को यह समझने के लिए कहा कि यह उपाय कोई ‘राष्ट्र विरोधी गतिविधि नहीं’, जो विदेशी निवेशकों को लाभांवित करेगा, बल्कि एक निवेश है, ‘जिसका सबसे बड़ा लाभार्थी भारतीय नागरिक है’.
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अच्छा-ख़ासा है, लेकिन बीते कुछ सप्ताह से इसमें धीरे-धीरे गिरावट आती जा रही है. 9 अप्रैल को ख़त्म हुए हफ्ते में भारत के रिज़र्व बैंक के मुद्रा भंडार में 11 अरब अमेरिकी डॉलर की कमी आई और यह गिरकर 606 अरब डॉलर का रह गया.
वीडियो: भारत में पेट्रोल, डीज़ल और सीएनजी की कीमतें बढ़ रही हैं. इसके चलते कई राज्यों में कैब सर्विस कंपनियों ओला और उबर ने भी यात्रा की कीमतों में बढ़ोतरी कर दी है. एक तरफ महंगाई बढ़ी है तो दूसरी तरफ सीएमआईई के मुताबिक बेरोजगारी के आंकड़े कम हुए हैं. इन मुद्दों पर प्रो. संतोष मेहरोत्रा से द वायर के याक़ूत अली की बातचीत.
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह मार्च में सालाना आधार पर 15 प्रतिशत अधिक है. रिकॉर्ड संग्रह के साथ यह संशोधित बजट लक्ष्य को पार कर गया है. केंद्र ने 2021-22 के लिए 5.70 लाख करोड़ रुपये जीएसटी संग्रह का संशोधित बजट लक्ष्य रखा था. इससे पहले जनवरी 2022 में जीएसटी संग्रह रिकॉर्ड 1.40 लाख करोड़ रुपये था.
भारत को ख़ुद को ऊर्जा बाज़ार में लंबे व्यवधान और मुद्रा की कमज़ोरी का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि इनका आर्थिक विकास, आजीविका और रोज़गार पर गंभीर असर होगा.
भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गर्वनर ने कहा कि अर्थव्यवस्था के बारे में सबसे बड़ी चिंता मध्यम वर्ग, लघु एवं मझोले क्षेत्र और हमारे बच्चों को लेकर है. ये सारी चीज़ें मांग में कमी के चलते लगने वाले शुरुआती झटकों के बाद केंद्र में आएंगी. सरकार को अपने ख़र्च को सावधानी से तय करने की ज़रूरत है, ताकि राजकोषीय घाटे को बहुत ऊंचाई पर पहुंचने से रोका जा सके.