नए आपराधिक क़ानून- नागरिक सुरक्षा या पुलिस राज

भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को बदलने के लिए लाए गए तीन विधेयक मूल रूप से पुराने क़ानूनों के प्रावधानों की ही प्रति है पर इन नए क़ानूनों में कुछ विशेष बदलाव है जो इन्हें ब्रिटिश क़ानूनों से भी ज़्यादा ख़तरनाक बनाते हैं.

मंत्रियों-राष्ट्रपति के बीच विशेषाधिकार संचार पर अदालतें नहीं कर सकेंगी पूछताछ: नया क़ानून

1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले भारतीय साक्ष्य (बीएस) विधेयक में कहा गया है कि मंत्रियों और भारत के राष्ट्रपति के बीच किसी भी विशेषाधिकार संचार को किसी भी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी. हालांकि यह संविधान के अनुच्छेद 74 (2) में भी कहा गया है, लेकिन केंद्र इसे साक्ष्य पुस्तिका का हिस्सा बनाकर क़ानूनी समर्थन देना चाहता है.

आपराधिक क़ानून में बदलावों पर विपक्ष ने कहा- छाप छोड़ने की नकारात्मक इच्छा से प्रेरित

आपराधिक न्याय प्रणाली के औपनिवेशिक स्वरूप को बदलने का हवाला देते हुए केंद्र सरकार ने लोकसभा में तीन नए विधेयक पेश किए हैं. कांग्रेस ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि इसकी प्रेरणा हर चीज़ पर अपनी छाप छोड़ने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा है.

कथित बलात्कार पीड़िता ‘मांगलिक’ है या नहीं, इसकी जांच करने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई

बीते 23 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलात्कार के एक आरोपी द्वारा दायर ज़मानत याचिका पर सुनवाई करते हुए इस बात का पता लगाने का निर्देश दिया था कि पीड़ित महिला ‘मांगलिक’ है या नहीं. याचिका में आरोपी की ओर से कहा गया था कि वह महिला से शादी नहीं कर सकता, क्योंकि वह ‘मांगलिक’ है.

दिल्ली: वकील महमूद प्राचा के दफ़्तर में छापेमारी के बाद कोर्ट ने सर्च वारंट पर रोक लगाई

महमूद प्राचा दिल्ली दंगों से जुड़े कई मामलों में वकील हैं. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल टीम ने मंगलवार से पहले दिसंबर 2020 में भी प्राचा के दफ़्तर पर छापेमारी की थी. इस दौरान सर्च टीम ने उनके कंप्यूटर और विभिन्न दस्तावेज़ों को जब्त करने पर जोर दिया, जिनमें केस की विस्तृत जानकारी थी.

दिल्ली दंगा: अदालत ने दो आरोपियों को ज़मानत दी, कहा- पुलिसकर्मियों की गवाही पर संदेह

आरोपियों को ज़मानत देते हुए अदालत ने कहा कि पुलिसकर्मियों द्वारा की गई शिनाख़्त का बमुश्किल कोई अर्थ है, क्योंकि भले ही वे घटना के वक़्त क्षेत्र में तैनात थे, पर उन्होंने आरोपियों का नाम लेने के लिए अप्रैल तक का इंतज़ार किया, जबकि उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि उन्होंने आरोपियों को 25 फरवरी, 2020 को दंगे में कथित रूप से शामिल देखा था.

दिल्ली दंगा: आरोपियों की पैरवी कर रहे वकील के ख़िलाफ़ सरकारी काम में बाधा डालने का केस दर्ज

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल टीम ने दिल्ली दंगों के आरोपियों की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता महमूद प्राचा के ऑफिस पर छापेमारी की थी. सर्च टीम ने प्राचा के कंप्यूटर और विभिन्न दस्तावेज़ों को ज़ब्त किए थे, जिनमें केस की विस्तृत जानकारी है.

दिल्ली दंगा: आरोपियों की पैरवी कर रहे वकील के ऑफिस में छापेमारी, कंप्यूटर और दस्तावेज़ ज़ब्त

वरिष्ठ अधिवक्ता महमूद प्राचा दिल्ली दंगों के आरोपियों की अदालत में पैरवी कर रहे हैं. प्राचा के सहयोगी वकीलों का आरोप है कि पुलिस की यह छापेमारी सभी रिकॉर्ड और दस्तावेज़ नष्ट करने का प्रयास था.