1957 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में वाराणसी दक्षिणी निर्वाचन क्षेत्र से एंटी-इंकंबेंसी झेल रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री डाॅ. संपूर्णानंद के सामने स्वतंत्रता सेनानी व वामपंथी नेता रुस्तम सैटिन खड़े हुए थे. हालांकि उनकी हिंदू-मुस्लिम एकता की पैरोकारी पर मुस्लिम सांप्रदायिकता की तोहमत लगाकर उन्हें हरा दिया गया.
भारतीय स्वाधीनता संग्राम में कई विचारधाराओं के लोगों ने अपने-अपने तरीकों से मोर्चा लिया था. इनमें कई गुमनाम बने रहे, पर जिनके बारे में कुछ जानकारियां भीं थीं, उन पर भी बहुत कुछ नहीं लिखा जा सका. स्वामी अभयानंद भी उन्हीं में से एक थे.
साल 1920 में अवध किसान सभा ने ब्रिटिश सरकार के किसान विरोधी क़ानूनों व नीतियों के ख़िलाफ़ संघर्ष की रणभेरी बजाने के लिए सम्मेलन हेतु अयोध्या के सरयू तट को चुना था. दमनकारी सरकार की निगाहों से बचते हुए सूबे के कोई एक लाख किसान वहां पहुंचे थे, जिनके लिए अयोध्या के संतों ने अपने मठ-मंदिर खोल दिए थे.
जन्मदिन विशेष: भारतीयों के लिए स्वराज या स्वशासन की मांग उठाने वाले पहले नेता दादाभाई नौरोजी का व्यक्तित्व व कृतित्व गवाह हैं कि कैसे प्रगतिशील राजनीतिक शक्ति इतिहास के काले अध्यायों में भी एक रोशनी की किरण की तरह होती है.
पुण्यतिथि विशेष: असहयोग आंदोलन की पृष्ठभूमि में रची कविता में अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ विद्रोह के आह्वान के बाद नज़रुल इस्लाम ‘विद्रोही कवि’ कहलाए. उपनिवेशवाद, धार्मिक कट्टरता और फासीवाद के विरोध की अगुआई करने वाली उनकी रचनाओं से ही इंडो-इस्लामिक पुनर्जागरण का आगाज़ हुआ माना जाता है.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: आज जब कुछ शक्तियां गांधी को लांछित करने के सुनियोजित अभियान में लगी हैं, तब ‘ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रतिबंधित साहित्य में गांधी’ शीर्षक से प्रकाशित पुस्तक याद दिलाती है कि गांधी कैसे अपने समय के लोकमानस में पैठे हुए थे.
साक्षात्कार: इतिहासकार, शिक्षाविद और नारीवादी उमा चक्रवर्ती देश की आज़ादी के समय छह साल की थीं. शिक्षा, समाज सेवा, फिल्म निर्माण जैसे क्षेत्रों में व्यापक काम कर चुकीं उमा का कहना है कि आज धर्म के आधार पर हो रही लिंचिंग, दंगे आदि स्वतंत्रता आंदोलन और उससे जुड़े वादों के साथ धोखा हैं.
अभिषेक चौधरी द्वारा लिखी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी के पहले हिस्से 'वाजपेयी: द एसेंट ऑफ द हिंदू राइट' उनके राजकुमारी कौल से रिश्ते, उनकी बेटी नमिता समेत कई अनछुए पहलू दर्ज किए गए हैं. करण थापर से बातचीत में अभिषेक ने किताब के महत्व और इसे लिखने की ज़रूरत पर भी बात की है.
वीडियो: वीडी सावरकर भारतीय इतिहास में बहस और विवाद का विषय रहे हैं. कुछ उन्हें एक स्वतंत्रता सेनानी बताते हैं, तो कुछ अन्य उन्हें संदेह की दृष्टि से देखते हैं. पत्रकार निरंजन टाकले ने सावरकर पर अध्ययन किया है और उनका मानना है कि सावरकर की आलोचना करना ही देशहित में है.
सामाजिक कार्यकर्ता सचिन जैन की चार किताबें - ‘संविधान और हम’, ‘भारतीय संविधान की विकास गाथा’, ‘जीवन में संविधान’ और ‘भारत का संविधान: महत्वपूर्ण तथ्य और तर्क’ हाल ही में प्रकाशित होकर आई हैं. संविधान के निर्माण और इसके पीछे के संघर्ष के अलावा ये किताबें आज़ादी के बाद संवैधानिक मूल्यों की लड़ाई और तिल-तिल कर जी रहे वंचित और दबे हुए लोगों की दास्तान हैं.
स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी अनिता बोस फाफ ने उनकी जयंती पर एक प्रेस नोट जारी करते हुए कहा है कि जो लोग नेताजी से प्यार करते हैं वे उनके अवशेषों को वापस लाकर उन्हें सबसे अच्छा सम्मान दे सकते हैं. वह अपने पिता के पार्थिव अवशेषों को जापान से भारत वापस लाने के लिए मोदी सरकार से बार-बार अनुरोध करती रही हैं.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: पी. साईनाथ की नई किताब 'द लास्ट हीरोज़: फुट सोल्जर्स ऑफ इंडियन फ्रीडम' पढ़कर एहसास होता है कि हम अपने स्वतंत्रता संग्राम में साधारण लोगों की हिस्सेदारी के बारे में कितना कम जानते हैं. यह वृत्तांत हमें भारतीय साधारण की आभा से भी दीप्त करता है.
चंद्रशेखर आज़ाद की मां ने मन्नत मानकर दो उंगलियों में धागा बांध रखा था. कहती थीं कि आज़ाद के आने के बाद ही धागा खोलेंगी.
गुजरात यूनिवर्सिटी में 'द रिवाल्यूशनरीज: ए रिटेलिंग ऑफ इंडियाज हिस्ट्री' पर भाषण देते हुए भारत सरकार के प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने कहा कि अगर प्रथम विश्व युद्ध के लिए वे भारतीय सैनिकों को ब्रिटिश सेना में भेजने को तैयार थे तब उन्हें उसी तरह का काम करने को लेकर भगत सिंह से दिक्कत क्यों थी?
आज़ादी की लड़ाई के सिपाही राजनारायण मिश्र ने कहा था कि हमें दस आदमी ही चाहिए, जो त्यागी हों और देश की ख़ातिर अपनी जान की बाज़ी लगा सकें. कई सौ आदमी नहीं चाहिए जो लंबी-चौड़ी हांकते हों और अवसरवादी हों.