केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति और भूमिहीन कृषि श्रमिक परिवारों से आने वाले छात्रों को विदेश में पढ़ने के लिए दी जाने वाली राष्ट्रीय ओवरसीज़ छात्रवृत्ति योजना में बिना किसी से सलाह-मशविरे और उससे लाभांवित तबकों की राय जाने बिना किए गए विषय संबंधी बदलाव बहुसंख्यकवादी असुरक्षा का नतीजा हैं.
समाज कल्याण और अधिकारिता मंत्रालय की राष्ट्रीय ओवरसीज़ छात्रवृत्ति योजना के तहत अनुसूचित जाति/ जनजाति और भूमिहीन कृषि श्रमिक परिवारों से आने वाले छात्रों को उच्च-रैंकिंग वाले विदेशी विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है. इस साल बिना हितधारकों से चर्चा किए योजना से मानविकी व समाज विज्ञान विषयों को हटा दिया गया है.
सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के सचिव आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि मंत्रालयीन स्तर पर विचार के बाद यह महसूस किया गया कि विदेश जाकर भारतीय इतिहास, संस्कृति और विरासत पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति की ज़रूरत नहीं है. कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने इसे दलितों को उच्च शिक्षा प्रणाली से बाहर करने वाला क़दम बताया है.