न्यायपालिका पर क़ानून मंत्री की टिप्पणी पर हरीश साल्वे बोले- उन्होंने लक्ष्मण रेखा पार कर ली है

कॉलेजियम को लेकर केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू की हालिया टिप्पणी से असहमति जताते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि अगर वह सोचते हैं कि सुप्रीम कोर्ट को किसी असंवैधानिक क़ानून को देखते हुए ख़ुद को रोकना चाहिए और उसमें संशोधन के लिए सरकार की दया पर रहना चाहिए, तो यह ग़लत है.

केंद्र ने जज नियुक्ति की 20 फाइल कॉलेजियम को लौटाई, सुप्रीम कोर्ट की रिजिजू की टिप्पणी पर आपत्ति

हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति संबंधी 20 फाइलों को केंद्र सरकार ने पुनर्विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को लौटा दिया है. 20 सिफारिशों में से 11 नई हैं, जबकि कॉलेजियम ने 9 सिफारिशें फिर से दोहराई थीं. दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा कॉलेजियम प्रणाली पर की गई टिप्पणी पर आपत्ति दर्ज कराई है.

अगर सरकार जजों की नियुक्ति की सिफ़ारिशों को रोके रखती है तो कॉलेजियम फाइल ही न भेजे: रिजिजू

सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा जजों की नियुक्ति के लिए की गई विभिन्न नामों की सिफ़ारिश वाली फाइलों को रोके जाने संबंधी आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि ऐसा कभी नहीं कहा जाना चाहिए, वरना फिर सरकार को फाइल ही न भेजें, ख़ुद ही नियुक्ति कर लें.

सुप्रीम कोर्ट को छोटे-छोटे मामलों की सुनवाई में उलझाए रखना बंद किया जाना चाहिए: अटॉर्नी जनरल

एक कार्यक्रम के दौरान देश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने सुप्रीम कोर्ट में मामलों की बढ़ती संख्या को कम करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया. उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि सरकार उच्च न्यायालयों से मामलों के भारी प्रवाह के साथ-साथ अंतहीन वैधानिक अपीलों के साथ बोझ बढ़ाना बंद करे.

क़ानून मंत्री रिजिजू ने फिर साधा न्यायपालिका पर निशाना, कहा- राजद्रोह क़ानून पर रोक से दुखी था

मई माह के एक आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह क़ानून की समीक्षा किए जाने तक इसके तहत मामले दर्ज करने और कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि सरकार ने पहले ही कह दिया था कि वह क़ानून की समीक्षा कर रही है तो शीर्ष अदालत को आदेश नहीं देना चाहिए था, यह ‘अच्छी बात’ नहीं थी. 

क़ानून के किसी भी पहलू पर विचार करते समय अपने भीतर नारीवादी सोच समाहित करें: जस्टिस चंद्रचूड़

नई दिल्ली में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अधिक समावेशी और सुलभ क़ानूनी पेशे की वकालत की और छात्रों से इसे हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करने को कहा.

देश की महिला क़ैदियों के बच्चे: वो दोषी नहीं हैं, लेकिन निरपराध ही सज़ा भुगत रहे हैं

विशेष रिपोर्ट: जेल में सज़ा काट रही महिला क़ैदियों के साथ रहने वाले बच्चों को तो तमाम परेशानियों का सामना करना ही पड़ता है, लेकिन वो जिन्हें मां से अलग कर बाहर अपने बलबूते जीने के लिए छोड़ दिया जाता है, उनके लिए भी परेशानियों का अंत नहीं होता.

अदालतों को निष्पक्ष होना चाहिए, कुछ स्थितियों में विपक्ष की भूमिका निभानी चाहिए: पूर्व सीजेआई

भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ने एक समारोह में कहा कि 21वीं सदी की उपलब्धियों की सराहना करने की ज़रूरत है, लेकिन एक राष्ट्र के रूप में हम इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकते कि करोड़ों भारतीयों के लिए भूख, ग़रीबी, अशिक्षा व सामाजिक असमानता अब भी एक हक़ीक़त है.

विपक्ष सिकुड़ रहा है, राजनीतिक विरोध का शत्रुता में बदलना स्वस्थ लोकतंत्र नहीं है: सीजेआई रमना

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना राजस्थान के जयपुर में शनिवार को विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हुए थे. इस दौरान उन्होंने भारतीय जेलों में बढ़ती विचाराधीन क़ैदियों की संख्या पर भी राय व्यक्त करते हुए कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली में पूरी प्रक्रिया एक तरह की सज़ा है, भेदभावपूर्ण गिरफ़्तारी से लेकर ज़मानत पाने तक और विचाराधीन क़ैदियों को लंबे समय तक जेल में बंद रखने की समस्या पर तत्काल ध्यान देने की ज़रूरत है.

सरकारें सबसे बड़ी मुक़दमेबाज़, कार्यकापालिका-विधायिका के चलते लंबित मामलों की भरमार: सीजेआई

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना में एक कार्यक्रम में कहा कि यह एक अच्छी तरह से स्वीकार किया गया तथ्य है कि सरकारें सबसे बड़ी मुक़दमेबाज़ हैं, जो लगभग 50 प्रतिशत मामलों के लिए ज़िम्मेदार हैं. सीजेआई ने यह भी कहा कि अदालतों में स्थानीय भाषा का उपयोग करने जैसे सुधारों को एक दिन में लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि कई तरह की अड़चनों के कारण ऐसी चीज़ों के कार्यान्वयन में समय लगता है.

न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी कम, शीर्ष अदालत में 1950 से सिर्फ़ 11 महिला जज: जस्टिस बनर्जी

पहले ‘अंतराष्ट्रीय महिला न्यायाधीश दिवस’ के कार्यक्रम में जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की संख्या बढ़ने के बावजूद निर्णय लेने वाले पदों पर महिलाओं का अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है. कार्यक्रम में जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि उच्च न्यायालयों के 680 न्यायाधीशों में 83 महिला न्यायाधीशों का होना बहुत कम संख्या है और निचली अदालतों में क़रीब 30 प्रतिशत महिला न्यायिक अधिकारी हैं.

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने क़ानूनी शिक्षा में लड़कियों के लिए आरक्षण की हिमायत की

पहले अंतराष्ट्रीय महिला न्यायाधीश दिवस के उपलक्ष्य में प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि वर्तमान में शीर्ष अदालत में चार महिला न्यायाधीश हैं, जो इसके इतिहास में अब तक की सबसे अधिक संख्या है और निकट भविष्य में भारत पहली महिला प्रधान न्यायाधीश का गवाह बनेगा.

न्यायिक अवसंरचना निगम और वकीलों की सहायता पर केंद्र का जवाब नहीं आया: सीजेआई रमना

सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि बढ़ते मामलों की वजह केवल न्यायाधीशों की कमी नहीं है बल्कि इससे निपटने के लिए बुनियादी सुविधाओं की भी ज़रूरत है. ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराए बिना यह आशा करना कि जज और वकील कोर्ट की जर्जर इमारत में बैठक कर न्याय देंगे, उचित नहीं है.

छत्तीसगढ़: बस्तर में कथित नक्सलियों के ‘आत्मसमर्पण’ के बाद क्या होता है?

दंतेवाड़ा में 'लोन वर्राटू' के तहत पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने वाले कथित पूर्व नक्सलियों के लिए बनाए गए डिटेंशन कैंप ‘शांति कुंज’ का अस्तित्व क़ानूनी दायरों से परे है.

विधायिका पारित क़ानून के प्रभाव का आकलन नहीं करती, जिससे बड़े मुद्दे खड़े होते हैं: सीजेआई

संविधान दिवस समारोह के समापन कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि अदालतों में मामले लंबित होने का मुद्दा बहुआयामी है. विधायिका अपने द्वारा पारित क़ानूनों के प्रभाव का अध्ययन नहीं करती और इससे कभी-कभी बड़े मुद्दे उपजते हैं. ऐसे में पहले से मुक़दमों का बोझ झेल रहे मजिस्ट्रेट हज़ारों केस के बोझ से दब गए हैं.