प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने राष्ट्रीय क़ानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि हम एक कल्याणकारी राज्य का हिस्सा हैं, उसके बावजूद लाभ इच्छित स्तर पर लाभान्वितों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. सम्मानजनक जीवन जीने की लोगों की आकांक्षाओं को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इनमें से ग़रीबी एक मुख्य चुनौती है.
वीडियो: क्या आप जानते हैं कि अनुच्छेद 23 के अनुसार किसी व्यक्ति को काम करने के लिए बाध्य करना या न्यूनतम आय का भुगतान नहीं करना या मानव की तस्करी करना असंवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों की मदद से अधिवक्ता अवनि बंसल मानव तस्करी और जबरन श्रम पर संविधान क्या कहता है, इसकी जानकारी दे रही हैं.
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि इन नियुक्तियों से कुछ हद तक लंबित पड़े मामलों पर भी ध्यान दिया जाएगा. कानून मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा उन्हें नामों की शीघ्र मंजूरी का आश्वासन दिया गया है. उन्होंने कहा कि वह न्याय तक पहुंच और लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिए सरकार से सहयोग और समर्थन चाहते हैं.
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि आज़ादी के 74 साल बाद भी परंपरागत जीवन शैली का पालन कर रहे लोग और कृषि प्रधान समाज अदालतों का दरवाज़ा खटखटाने में झिझक महसूस करते हैं. हमारे न्यायालयों की परंपराएं, प्रक्रियाएं, भाषा उन्हें विदेशी लगती हैं. क़ानूनों की जटिल भाषा और न्याय प्रदायगी की प्रक्रिया के बीच ऐसा लगता है कि आम आदमी अपनी शिकायत को लेकर बहुत आशांवित नहीं होता है.
दिवंगत न्यायाधीश जस्टिस मोहन शांतानागौदर को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि हमारी न्याय व्यवस्था कई बार आम आदमी के लिए कई अवरोध खड़े कर देती है. अदालतों के कामकाज और कार्यशैली भारत की जटिलताओं से मेल नहीं खाते. हमारी प्रणालियां, प्रक्रियाएं और नियम मूल रूप से औपनिवेशिक हैं और ये भारतीय आबादी की ज़रूरतों से पूरी तरह मेल नहीं खाते.
वीडियो: क्या सरकार हमारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा सकती है? क्या सरकार हमसे अपने भाषण का अधिकार, लिखने का अधिकार, छीन सकती है? इस वीडियो में सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल समझा रही हैं कि अनुच्छेद 19 2 में वो कौन से कारण हैं, जिसके आधार पर सरकार अभिव्यक्ति के अधिकार को सीमित कर सकती है.
वीडियो: हमारा संविधान की इस कड़ी में अधिवक्ता अवनि बंसल संविधान के अनुच्छेद 19 में शामिल प्रेस की स्वतंत्रता और असहमति के अधिकार के बारे में जानकारी दे रही हैं. असहमति का अधिकार भी अभिव्यक्ति के अधिकार का अभिन्न अंग है. इसलिए सभी नागरिकों को ये अधिकार है कि वो सरकार की नीतियों पर अपनी बात खुलकर कह सके और उसे लोगों तक पहुंचा सके.
देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित मानवाधिकार अधिवक्ता सोराबजी तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह के कार्यकाल में 1989 से 1990 तक और फिर अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 1998 से 2004 तक भारत के अटॉर्नी जनरल रहे थे.
जहां देश में एक तरफ ट्रांसजेंडर पहचान रखने वाले लोगों के लिए क़ानूनी अधिकारों की बात होना शुरू हो रहा है, वहीं दूसरी ओर देश की जेलों में बंद ऐसे लोग ज़रूरी हक़ों और सुविधाओं से भी महरूम हैं.
जेलें क़ैदियों को उनके अपराध के आधार पर वर्गीकृत कर सकती हैं, लेकिन जेलों, ख़ासतौर पर महिला जेलों में वर्गीकरण सिर्फ अपराधों से तय नहीं होता है. यह सदियों की परंपराओं और अक्सर धर्म द्वारा स्थापित नैतिक लक्ष्मण रेखा लांघने से जुड़ा है. ऐसे में भारतीय महिलाएं जब जेल जाती हैं, तब वे अक्सर जेल के भीतर एक और जेल में दाख़िल होती हैं.
दिल्ली दंगों से संबंधित मामले में गिरफ़्तार गर्भवती सफूरा ज़रगर तिहाड़ जेल में हैं और अदालत में जेल अधीक्षक का कहना था कि उन्हें सभी ज़रूरी सुविधाएं दी जा रही हैं. हालांकि देश की जेलों की स्थिति पर आए आंकड़े और सूचनाएं बताते हैं कि भारतीय जेलें गर्भवती महिला क़ैदियों के लिहाज़ से मुफ़ीद नहीं हैं.
दो अक्टूबर को 611 कैदियों की रिहाई के साथ ही पिछले एक वर्ष में ‘विशेष क्षमा’ योजना के तहत रिहा होने वाले कैदियों की कुल संख्या बढ़कर 2,035 हो गई है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार हत्या, बलात्कार और भ्रष्टाचार के अपराधों को छोड़कर छिटपुट मामलों के सैकड़ों दोषियों को रिहा किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने जस्टिस अकील कुरैशी की पदोन्नति के मामले में कॉलेजियम की सिफ़ारिश लागू करने का केंद्र को निर्देश देने के लिए गुजरात उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की.
मध्य प्रदेश विधानसभा में प्रदेश सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक जेलों की क्षमता 28,601 कैदियों की है लेकिन यहां 42,057 कैदी बंद थे.