जजों की नियुक्ति: एनजेएसी क़ानून को निरस्त करने के फैसले पर पुनर्विचार याचिका ख़ारिज

सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर 2015 को जजों द्वारा जजों की नियुक्ति की 22 साल पुरानी कॉलेजियम प्रणाली की जगह लेने वाले एनजेएसी क़ानून, 2014 को असंवैधानिक और अमान्य घोषित किया था.

कॉलेजियम ने पदोन्नति के लिए जस्टिस केएम जोसेफ के नाम की फिर की सिफ़ारिश

केंद्र सरकार ने अप्रैल महीने में जस्टिस केएम जोसेफ के नाम की सिफ़ारिश संबंधी फाइल कॉलेजियम को पुनर्विचार के लिए प्रधान न्यायाधीश को लौटा दी थी और जस्टिस इंदु मल्होत्रा के नाम को मंज़ूरी दे दी थी.

आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष ने कहा, न्यायपालिका ने ख़ुद को सुधारने में कुछ ख़ास नहीं किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने यह भी कहा कि जजों की नियुक्ति में टैक्सपेयर्स का बहुत ज़्यादा पैसा ख़र्च होता है और जज की पद के लिए ख़ाली 25 प्रतिशत पोस्ट कोई बड़ी बात नहीं है.

स्वतंत्र न्यायपालिका के बिना कोई भी लोकतंत्र जीवित नहीं रह सकता: जस्टिस चेलमेश्वर

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस जे. चेलमेश्वर सेवानिवृत्त. चार न्यायाधीशों की अपनी ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के संबंध में कहा कि मुझे बागी, काम बिगाड़ने वाला, वामपंथी और राष्ट्रद्रोही भी कहा गया लेकिन मैंने जनता के प्रति अपना दायित्व निभाया.

कॉलेजियम व्यवस्था लोकतंत्र पर धब्बा है: उपेंद्र कुशवाहा

पटना में हुए एक कार्यक्रम में बोले मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा, कॉलेजियम व्यवस्था से जजों की नियुक्ति नहीं होती बल्कि उत्तराधिकारी चुना जाता है.

न्याय व्यवस्था पूर्ण बदलाव की गुहार लगा रही है: जस्टिस गोगोई

नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की किताब के विमोचन के अवसर पर ​जस्टिस गोगोई ने कहा कि हम आज जो करेंगे उसका असर हमारे बच्चों पर पड़ेगा.

न्यायपालिका की स्वतंत्रता को ख़तरा महाभियोग से नहीं, सत्तापक्ष के दख़ल से है

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के ख़िलाफ़ महाभियोग लाया गया तो ऐसा माहौल बना जैसे ऐसा करने से जनता का न्याय से विश्वास उठ जाएगा और लोकतंत्र ख़तरे में पड़ जाएगा.

जज लोया मामला: कांग्रेस ने फ़ैसले पर उठाए सवाल, भाजपा ने कहा- याचिकाओं के पीछे राहुल का हाथ

जज लोया की मौत की एसआईटी जांच की मांग वाली याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के बाद राजनीतिक बयानबाज़ी शुरू हो गई है.

रोस्टर मसले पर सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 27 अप्रैल को

मुख्य न्यायाधीश के मुक़दमों के आवंटन के अधिकार को चुनौती देने वाली इस जनहित याचिका को पूर्व क़ानून मंत्री शांति भूषण ने दायर किया है.

रोस्टर पर जस्टिस चेलमेश्वर ने सुनवाई से किया इनकार, बोले- फ़ैसला दूंगा तो 24 घंटे में पलट जाएगा

उच्चतम न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने मामलों के आवंटन संबंधी पूर्व क़ानून मंत्री की जनहित याचिका को सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया.

मुख्य न्यायाधीश पर अविश्वास नहीं दिखाया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट

सीजेआई दीपक मिश्रा, एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने मामलों के आवंटन के संबंध में दायर याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा कि सीजेआई कार्यालय के पास विशेष अधिकार हैं.

क्या न्यायपालिका की स्वतंत्रता छीन रही है मोदी सरकार?

केंद्र सरकार पर न्यायिक नियुक्तियों को प्रभावित करने के आरोप लग रहे हैं. बीते कुछ सालों में हुई नियुक्तियों पर गौर करें तो ऐसे कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं जो भविष्य की एक ख़तरनाक तस्वीर बनाते हैं.

कभी-कभी कुछ जज सरकार चलाने का प्रयास करते हैं: रविशंकर प्रसाद

क़ानून मंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा उपाध्यक्ष की नियुक्ति में प्रधानमंत्री की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. फिर क्या ग़लत है कि अगर वे अपने क़ानून मंत्री के ज़रिये हाईकोर्ट के जजों की भी नियुक्ति करते हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने मुक़दमों के आवंटन के लिए रोस्टर प्रणाली अपनाई, सीजेआई ने पीआईएल अपने पास रखीं

पिछले महीने न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में संवेदनशील जनहित याचिकाओं और महत्वपूर्ण मुक़दमे वरिष्ठता के मामले में जूनियर न्यायाधीशों को आवंटित किए जाने पर सवाल उठाए थे.