विधायिका पारित क़ानून के प्रभाव का आकलन नहीं करती, जिससे बड़े मुद्दे खड़े होते हैं: सीजेआई

संविधान दिवस समारोह के समापन कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि अदालतों में मामले लंबित होने का मुद्दा बहुआयामी है. विधायिका अपने द्वारा पारित क़ानूनों के प्रभाव का अध्ययन नहीं करती और इससे कभी-कभी बड़े मुद्दे उपजते हैं. ऐसे में पहले से मुक़दमों का बोझ झेल रहे मजिस्ट्रेट हज़ारों केस के बोझ से दब गए हैं.

केंद्र ने कॉलेजियम की सिफ़ारिश मानी तो सौरभ कृपाल बन सकते हैं हाईकोर्ट के पहले समलैंगिक जज

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ में पदोन्नत करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है, जो उनके यौन झुकाव के कारण विवाद का विषय था, लेकिन पदोन्नति केंद्र की सहमति के अधीन होगी. केंद्र अगर अनुमति देता है तो वह देश के किसी हाईकोर्ट के पहले समलैंगिक न्यायाधीश बन सकते हैं.

न्यायपालिका की स्वतंत्रता और सत्यनिष्ठा की सभी स्तरों पर रक्षा करना अत्यंत आवश्यक: एनवी रमना

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने राष्ट्रीय क़ानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि हम एक कल्याणकारी राज्य का हिस्सा हैं, उसके बावजूद लाभ इच्छित स्तर पर लाभान्वितों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. सम्मानजनक जीवन जीने की लोगों की आकांक्षाओं को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इनमें से ग़रीबी एक मुख्य चुनौती है.

हमारा संविधान: अनुच्छेद-21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अर्थ

वीडियो: अनुच्छेद-21 में जिन शब्दों का उपयोग हुआ है, उनकी सुप्रीम कोर्ट ने कैसे व्याख्या की है? अपराधियों के अधिकार से लेकर महिलाओं के अधिकारों तक- फेयर ट्रायल, स्पीड ट्रायल और पर्यावरण की सुरक्षा को भी कोर्ट ने अनुच्छेद-21 में बताया है. इस विषय में विस्तार से बता रही हैं सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल.

केंद्र ने उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के लिए अनुशंसित 106 नामों में से सात मंज़ूर किए: सीजेआई

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि इन नियुक्तियों से कुछ हद तक लंबित पड़े मामलों पर भी ध्यान दिया जाएगा. कानून मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा उन्हें नामों की शीघ्र मंजूरी का आश्वासन दिया गया है. उन्होंने कहा कि वह न्याय तक पहुंच और लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिए सरकार से सहयोग और समर्थन चाहते हैं.

विधायिका को क़ानून पर फिर से विचार कर समय के अनुसार बनाने की ज़रूरत: मुख्य न्यायाधीश

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि आज़ादी के 74 साल बाद भी परंपरागत जीवन शैली का पालन कर रहे लोग और कृषि प्रधान समाज अदालतों का दरवाज़ा खटखटाने में झिझक महसूस करते हैं. हमारे न्यायालयों की परंपराएं, प्रक्रियाएं, भाषा उन्हें विदेशी लगती हैं. क़ानूनों की जटिल भाषा और न्याय प्रदायगी की प्रक्रिया के बीच ऐसा लगता है कि आम आदमी अपनी शिकायत को लेकर बहुत आशांवित नहीं होता है.

हमारी न्याय व्यवस्था का भारतीयकरण करने की ज़रूरत: सीजेआई एनवी रमना

दिवंगत न्यायाधीश जस्टिस मोहन शांतानागौदर को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि हमारी न्याय व्यवस्था कई बार आम आदमी के लिए कई अवरोध खड़े कर देती है. अदालतों के कामकाज और कार्यशैली भारत की जटिलताओं से मेल नहीं खाते. हमारी प्रणालियां, प्रक्रियाएं और नियम मूल रूप से औपनिवेशिक हैं और ये भारतीय आबादी की ज़रूरतों से पूरी तरह मेल नहीं खाते.

हमारा संविधान; अनुच्छेद 21: एके गोपालन मामले से लेकर मेनका गांधी संबंधी फैसला

वीडियो: संविधान का अनुच्छेद 21 क्या कहता है और इसका क्या इतिहास है, क्यों इसे मूल अधिकारों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है? अनुच्छेद 21 में दिए गए अधिकार को अमेरिकी संविधान की तुलना में सुप्रीम कोर्ट ने कैसे देखा, बता रही हैं सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल.

इंदिरा गांधी को अयोग्य क़रार देने का निर्णय बहुत साहस भरा था: सीजेआई एनवी रमना

इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर में एक कार्यक्रम में शामिल हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि साल 1975 में वह जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा थे, जिन्होंने ऐसा आदेश पारित किया, जिसमें इंदिरा गांधी को अयोग्य क़रार दिया गया. इस निर्णय ने देश को हिलाकर रख दिया था.

पूर्व अटॉर्नी जनरल और न्यायविद् सोली सोराबजी का निधन

देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित मानवाधिकार अधिवक्ता सोराबजी तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह के कार्यकाल में 1989 से 1990 तक और फिर अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 1998 से 2004 तक भारत के अटॉर्नी जनरल रहे थे.

जजों की नियुक्ति प्रक्रिया के लिए कोर्ट ने केंद्र को दी समयसीमा, कहा- अदालतों की स्थिति ख़राब

सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा करने के लिए समयसीमा पर ज़ोर देते हुए ऐसे उच्च न्यायालयों को लेकर चिंता व्यक्त की, जहां न्यायाधीशों के 40-50 प्रतिशत पद रिक्त हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर कॉलेजियम अपनी सिफ़ारिशों को सर्वसम्मति से दोहराता है तो केंद्र को तीन-चार सप्ताह के भीतर न्यायाधीशों की नियुक्ति कर देनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कॉलेजियम के भेजे नामों को मंज़ूरी देने की समयसीमा बताने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वे एक तर्कसंगत समयसीमा बताए जिसके अंदर वे शीर्ष अदालत के कॉलेजियम द्वारा जजों की नियुक्ति के लिए की गई सिफ़ारिशों पर कार्रवाई कर सकता है. कोर्ट ने यह भी पूछा कि उसके कॉलेजियम द्वारा भेजे गए दस नाम, जो सरकार के पास डेढ़ साल से लंबित हैं, को कब तक मंज़ूरी मिलने की उम्मीद की जा सकती है.

राज्यसभा में सांसद रंजन गोगोई की ख़ामोशी का एक साल

बीते साल राज्यसभा सांसद के बतौर मनोनीत होने के बाद पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा था कि संसद में उनकी उपस्थिति विधायिका के सामने न्यायपालिका के विचारों को पेश करने का अवसर होगी, हालांकि रिकॉर्ड दिखाते हैं कि इस एक साल में वे उंगली पर गिनी जा सकने वाली बार ही सदन में नज़र आए हैं.

पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई के ख़िलाफ़ अवमानना कार्यवाही की अनुमति देने से अटॉर्नी जनरल का इनकार

बीते दिनों के कार्यक्रम के दौरान राज्यसभा सदस्य और पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने न्यायपालिका के 'जर्जर हाल' में होने की बात कही थी. इसके लिए उनके ख़िलाफ़ अवमानना कार्यवाही की अपील से इनकार करते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि उन्होंने ऐसा संस्थान की बेहतरी के लिए कहा.

राज्यसभा नामांकन पर बोले जस्टिस गोगोई- अगर सौदा होता तो सिर्फ राज्यसभा सीट से बात न बनती

एक कार्यक्रम के दौरान पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने देश की न्यायिक व्यवस्था पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि न्यायपालिका एकदम ‘जर्जर’ स्थिति में पहुंच गई है और वे कोर्ट जाना पसंद नहीं करेंगे.

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