प्रख्यात शायर मुनव्वर राना का निधन

शायर मुनव्वर राना लंबे समय से गले के कैंसर से पीड़ित थे. लखनऊ स्थित संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ में उनका निधन हुआ. उनके परिजनों ने बताया कि बीमारी के कारण वह 14 से 15 दिनों तक अस्पताल में भर्ती थे. देश में बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में अक्टूबर 2015 में उन्होंने अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया था.

पाश की कविता में स्वप्न और संघर्ष का स्थाई भाव है… वे सपनों को जिलाए रखते हैं

विशेष: क्रांतिकारी सपने देखता है. वह उसे विचार व कर्म की आंच में पकाता है. वह शहीद होकर भी संघर्ष की पताका को गिरने नहीं देता. उसे अपने दूसरे साथी के हाथों में थमा देता है. शहीद भगत सिंह ने जिस आज़ाद भारत का सपना देखा था, पाश उसे अपनी कविता में विस्तार देते हैं.

पाश की कविताएं ख़ामोश नहीं बैठने देंगी

वीडियो: अवतार सिंह संधू यानी पाश एक ऐसे कवि रहे हैं, जिन्होंने अपने वक़्त में भी वक़्त से बहुत आगे की सोच रखी थी. वर्तमान समय में जबकि ख़ामोश रह जाना समाज को एक सुरक्षा कवच जैसा लगने लगा है, पाश की रचनाओं को पढ़ना और सुनना एक बेचैनी पैदा करता है. हक़ीक़त में देखें तो इसी बेचैनी की ज़रूरत आज सबसे ज़्यादा है.

आंचल संभालते हाथों में थमी वीरता की कटार का नाम है सुभद्रा कुमारी चौहान

वीडियो: 16 अगस्त, 1904 को इलाहाबाद के निकट निहालपुर गांव में जन्मीं सुभद्रा कुमारी चौहान ने महज़ नौ साल की उम्र में अपनी पहली प्रकाशित कविता लिखी थी. वह स्वतंत्रता आंदोलन में भी शामिल रही हैं. स्वतंत्रता से पूर्व स्त्री अधिकारों पर लिखने वाली वह देश की पहली महिला लेखक थीं.