पुलिस सुधार नहीं हुआ तो देश में लोकतंत्र नहीं बचेगाः यूपी के पूर्व डीजीपी

उत्तर प्रदेश और असम में पुलिस महानिदेशक रहे प्रकाश सिंह ने कहा है कि अगर समय रहते पुलिस व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो लोकतंत्र को काफ़ी नुकसान होगा. देश के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विकास के लिए ज़रूरी है कि पुलिस सुधार हों. आधुनिक भारत के लिए आवश्यक है कि पुलिस भी आधुनिक हो.

हिरासत में अत्याचार: भारतीय पुलिस का निकृष्टम चेहरा

यूं तो भारतीय पुलिस द्वारा रोज़ाना सैंकड़ों लोगों को प्रताड़ित करने की बात कही जाती है लेकिन गरीब, पिछड़े, और अल्पसंख्यक उनके विशेष निशाने पर होते हैं. एक पूर्व पुलिस महानिदेशक द्वारा सभ्य जनतांत्रिक समाज के इस बदनुमा दाग़ का विस्तृत विश्लेषण.

किन परिस्थितियों में काम करती है देश की पुलिस?

वीडियो: बीते दिनों कॉमन कॉज़, लोकनीति और सीएसडीएस संगठनों ने देश के 12 हज़ार से अधिक पुलिसकर्मियों पर किए गए एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी की. इसमें बताया गया है कि देश में कानून और व्यवस्था की ज़िम्मेदारी संभालने वाले पुलिसकर्मी क्या सोचते हैं और किन परिस्थितियों में काम करते हैं. रिपोर्ट के बारे में विस्तार से बता रही हैं रीतू तोमर.

देशभर में पुलिस बलों के 5.28 लाख पद खाली, यूपी में सबसे अधिक

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, सबसे अधिक लगभग 1.29 लाख पद उत्तर प्रदेश में, बिहार में 50,000 पद और पश्चिम बंगाल में 49,000 पद रिक्त हैं. वहीं, नागालैंड पुलिस देश का एकमात्र ऐसा बल है, जहां स्वीकृत संख्या से 941 अधिक कर्मियों को भर्ती किया गया है.

देश के पुलिस बल में हैं सिर्फ़ 7.28 प्रतिशत महिलाएं: गृ​ह मंत्रालय

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों एवं संघशासित प्रदेशों को 2009, 2012 और 2016 में पत्र लिखकर महिला पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाकर 33 प्रतिशत करने की सलाह दी थी.

अंग्रेज़ चले गए, अपनी पुलिस यहीं छोड़ गए

1857 की बग़ावत के सदमे से अंग्रेज़ कभी उबर नहीं सके. भारतीयों के दमन और अपने औपनिवेशिक लक्ष्यों को पूरा करने के उद्देश्य से उन्होंने पुलिस एक्ट, 1861 बनाया, जो आज भी वर्तमान पुलिस प्रणाली का आधार बना हुआ है.