जन गण मन की बात, एपिसोड 75: गोरक्षा पर प्रधानमंत्री का बयान और दिल्ली गोल्फ क्लब में नस्लीय भेदभाव

जन गण मन की बात की 75वीं कड़ी में विनोद दुआ कथित गोरक्षकों की गुंडागर्दी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान और दिल्ली गोल्फ क्ल​ब में पूर्वोत्तर की महिला के साथ हुए नस्लीय भेदभाव पर चर्चा कर रहे हैं.

जन गण मन की बात, एपिसोड 74: भीड़ द्वारा पीट​​​​-पीटकर नागरिकों की हो रही हत्याएं और जीएसटी

जन गण मन की बात की 74वीं कड़ी में विनोद दुआ भीड़ द्वारा पीट​​​​-पीटकर नागरिकों की हो रही हत्याओं और जीएसटी पर चर्चा कर रहे हैं.

जन गण मन की बात, एपिसोड 72: राजस्थान के ग़रीब और बेरोज़गारी

जन गण मन की बात की 72वीं कड़ी में विनोद दुआ राजस्थान में ग़रीबों को चिह्नित करने के अभियान और देश में रोज़गार की कमी पर चर्चा कर रहे हैं.

जन गण मन की बात, एपिसोड 71: रामनाथ कोविंद और दार्जिलिंग में तनाव 

जन गण मन की बात की 71वीं कड़ी में विनोद दुआ राजग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद और दार्जिलिंग में जारी तनाव पर पर चर्चा कर रहे हैं.

जन गण मन की बात, एपिसोड 70: न्यूनतम समर्थन मूल्य और प्रणब मुखर्जी

जन गण मन की बात की 70वीं कड़ी में विनोद दुआ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल की चर्चा कर रहे हैं.

जन गण मन की बात, एपिसोड 69: लखनऊ विश्वविद्यालय में योगी का विरोध और सुगम्य भारत अभियान

जन गण मन की बात की 69वीं कड़ी में विनोद दुआ लखनऊ विश्वविद्यालय में योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रम के विरोध में छात्र-छात्राओं के प्रदर्शन और सुगम्य भारत अभियान पर चर्चा कर रहे हैं.

जन गण मन की बात, एपिसोड 68: नोटबंदी का किसानों पर असर और आधार व पैन कार्ड 

जन गण मन की बात की 68वीं कड़ी में विनोद दुआ किसानों पर नोटबंदी के असर और आधार व पैन कार्ड से जुड़े अदालत के फैसले पर चर्चा कर रहे हैं.

जन गण मन की बात, एपिसोड 67: गांधी और नोटबंदी

जन गण मन की बात की 67वीं कड़ी में विनोद दुआ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा गांधी को चतुर बनिया बताए जाने और नोटबंदी से अर्थव्यवस्था पर पड़े दुष्प्रभाव पर चर्चा कर रहे हैं.

‘किसानों के छोटे क़र्ज़ से दिक्कत है, उन उद्योगपतियों से नहीं जो हज़ारों करोड़ का लोन डकार जाते हैं’

कृषि, रोज़गार और महंगाई समेत दूसरे आर्थिक मसलों पर द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु से अमित सिंह की बातचीत.

विधायिका में मुसलमानों की घटती नुमाइंदगी लोकतंत्र के लिए बेहतर संकेत नहीं है

आंकड़े बताते हैं कि देश में मुसलमानों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व बहुत तेज़ी से गिरता जा रहा है, जिसका मतलब होगा कि वह पूरी तरह से हाशिये पर चले जाएंगे.

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