भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत ने लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में ‘वेरिफिकेशन पेट्रोलिंग’ शुरू कर दी है. वेरिफिकेशन पेट्रोलिंग एक प्रक्रिया है जिसके तहत किसी क्षेत्र की निगरानी और निरीक्षण किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वहां तय समझौते का पालन हो रहा है.
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सीमा संबंधी मुद्दों पर चीन और भारत के बीच हाल ही में हुए समाधानों के अनुसार चीनी और भारतीय सैनिक इस काम में लगे हुए हैं. इस बीच, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दोनों देशों के बीच संबंधों के सामान्य होने में कुछ और समय लगने की बात कही है.
भारत ने हाल ही में घोषणा की है कि उसने चीन के साथ सीमा विवाद सुलझा लिया है. क्या भारत अब 2020 में खोए क्षेत्र को फिर से हासिल कर पाएगा? इस समझौते पर द वायर हिंदी के संपादक आशुतोष भारद्वाज की वरिष्ठ पत्रकार मनोज जोशी के साथ बातचीत.
बीते दिनों भारत के विदेश सचिव ने भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर जारी विवाद में समझौता होने की बात कही थी, जिस पर विदेश मामलों की संसदीय समिति की बैठक में विदेश सचिव से पूछा गया कि दोनों देशों की तरफ से समझौते को लेकर संयुक्त बयान सामने क्यों नहीं आया है.
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने से ठीक पहले भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि पिछले कई हफ्तों से भारतीय और चीनी राजनयिक तथा सैन्य वार्ताकार विभिन्न मंचों पर एक-दूसरे के निकट संपर्क में हैं. इन वार्ताओं के चलते भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में एलएसी पर गश्त व्यवस्था को लेकर एक समझौता हुआ है.
उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग ने साल 2020 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति में संशोधन किया था ताकि विदेशी कंपनियों के निवेश के लिए पूर्व सरकारी अनुमोदन को अनिवार्य किया जा सके. यह संशोधन गलवान घाटी में भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच सीमा पर हुए संघर्ष के दौरान पेश किया गया था.
लद्दाख में पैंगोंग झील पर चीन के पुल बनाने की ख़बरें सामने आईं, कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाए
चीन द्वारा लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों को जोड़ने वाले पुल निर्माण की ख़बरों और बढ़ते आतंकी हमलों पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि भारत के दोहरे मोर्चों पर सुरक्षा परिदृश्य में नए घटनाक्रम ने एक बार फिर मोदी सरकार की उदासीनता को उजागर किया है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय से जुड़े एक सुरक्षा अधिकारी का कहना है कि चीनी सेना डेपसांग मैदानों में भारत के दावे वाली सीमा में तेज़ी से अपनी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को बढ़ा रही है और इसने अन्य अतिक्रमण बिंदुओं पर अपनी सैन्य स्थिति मजबूत कर ली है.
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अरुणाचल प्रदेश में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प के संबंध में कहा है कि जिस दिन हमने चीन को आंख दिखानी शुरू कर दी और 95 बिलियन डॉलर का आयात बंद कर दिया तो चीन को अपनी औकात पता चल जाएगी.
एक रिपोर्ट से हवाले से पता चला था कि चीन द्वारा एलएसी पर पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के पास पुल का निर्माण किया जा रहा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि पुल उन क्षेत्रों में बनाया जा रहा है, जो लगभग 60 वर्ष से चीन के अवैध क़ब्ज़े में हैं और भारत ने इस तरह के अवैध क़ब्ज़े को कभी स्वीकार नहीं किया है. भारत ने चीनी दूतावास द्वारा सांसदों को पत्र लिखे जाने की
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन इस पुल का निर्माण पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर आठ से 20 किलोमीटर पूर्व में कर रहा है. कांग्रेस ने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि चीन चाहे उकसाए, पुल बनाए, सैन्य गांव बसाए… पर मोदी जी चुप हैं! यही है चीन को लाल आंख दिखाने की नीति?
रिपब्लिकन सांसद डेविड नुनेस ने कहा है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पिछले सप्ताह भारत की सीमा के पास तिब्बत का दौरा किया है. भारत के लिए यह ख़तरे की बात है कि वह एक बड़ी जल परियोजना विकसित करने वाले हैं, जिससे भारत की जलापूर्ति बाधित हो सकती है.
डेमचोक में पहले भी भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच आमना-सामना हो चुका है. 1990 के दशक में भारत-चीन संयुक्त कार्य समूहों (जेडब्ल्यूजी) की बैठकों के दौरान दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि डेमचोक और ट्रिग हाइट्स वास्तविक नियंत्रण रेखा पर विवादित बिंदु थे.
बिज़नेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट में कहा गया कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने पैंगोंग के दक्षिणी किनारे पर स्थित कई स्थानों पर फिर से कब्ज़ा कर लिया है, जिसे उन्होंने पहले पीछे हटने संबंधी समझौते के अनुसार खाली कर दिया था. रिपोर्ट के दावे को भारतीय सेना ने ख़ारिज किया है.
भारतीय सैनिकों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी घुसपैठ का पता लगाए जाने के बाद पूर्वी लद्दाख में पिछले साल मई की शुरुआत से ही भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच कई बार झड़प हुई थीं.