प्रतिभा के कारण अवसर मिलते हैं. यह वाक्य ग़लत है. यह कहना सही है कि अवसर मिलने से प्रतिभा उभरती है. सदियों से जिन्होंने सारे अवसर अपने लिए सुरक्षित रखे, अपनी प्रतिभा को नैसर्गिक मानने लगे हैं. वे नई-नई तिकड़में ईजाद करते हैं कि जनतंत्र के चलते जो उनसे कुछ अवसर ले लिए गए, वापस उनके पास चले जाएं.
संविधान की मूल संरचना का आधार समानता है. आज तक जितने संवैधानिक संशोधन किए गए हैं, वे समाज में किसी न किसी कारण से व्याप्त असमानता और विभेद को दूर करने वाले हैं. पहली बार ऐसा संशोधन लाया गया है जो पहले से असमानता के शिकार लोगों को किसी राजकीय योजना से बाहर रखता है.
एक कार्यक्रम में बेरोज़गारी को लेकर नोबल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा है कि हमारी शिक्षा प्रणाली का प्रमुख उद्देश्य सरकारी नौकरी पाना है. हालांकि, लगभग 98 प्रतिशत उम्मीदवार इन नौकरियों को पाने में सफल नहीं होते हैं, जिससे बेरोज़गार युवाओं की संख्या में बढ़ोतरी होती है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि हमें इस बात का दुख होना चाहिए कि 20 करोड़ लोग ग़रीबी रेखा से नीचे हैं और 23 करोड़ लोग प्रतिदिन 375 रुपये से भी कम कमा रहे हैं. ग़रीबी हमारे सामने एक राक्षस-जैसी चुनौती है. यह महत्वपूर्ण है कि इस दानव को ख़त्म किया जाए.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हमारा समय दुर्भाग्य से ऐसा हो गया है कि राजनेता किसी को कुछ भी कह सकते हैं, अभद्रता और अज्ञान से. उनके अनुयायियों की भावनाएं इस अभद्रता से आहत नहीं होतीं.
विशेषज्ञों का मानना है कि 2020 में महामारी के प्रकोप के बाद आर्थिक व्यवधान के बाद अपर्याप्त राहत पर बढ़ती सार्वजनिक आलोचना के बीच वित्त मंत्री किफायती आवास और उर्वरक के लिए उच्च सब्सिडी के अलावा सड़कों और रेलवे पर अधिक ख़र्च की घोषणा करेंगी.
प्रगतिशील नागरिक समाज संगठनों, सामाजिक आंदोलनों, शिक्षाविदों और अन्य विशेषज्ञों के एक मंच जन सरोकार ने आगामी केंद्रीय बजट से पहले नरेगा, खाद्य सुरक्षा, पेंशन, कृषि, बैंकिंग और वित्त, जेंडर, पर्यावरण जैसे क्षेत्रों को लेकर अपनी अपेक्षाएं और मांगें जारी की हैं.
विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 के मुताबिक़, भारत की शीर्ष 10 फीसदी आबादी के पास कुल राष्ट्रीय आय का 57 फीसदी हिस्सा है, जबकि नीचे से 50 फीसदी आबादी की इसमें हिस्सेदारी मात्र 13 फीसदी है.
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने राष्ट्रीय क़ानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि हम एक कल्याणकारी राज्य का हिस्सा हैं, उसके बावजूद लाभ इच्छित स्तर पर लाभान्वितों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. सम्मानजनक जीवन जीने की लोगों की आकांक्षाओं को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इनमें से ग़रीबी एक मुख्य चुनौती है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा ने कहा है कि ई-कॉमर्स ने कोविड-19 के दौरान छोटे विक्रेताओं के अधिकारों को प्रभावित करने वाली असमानता उत्पन्न की है. उनके अधिकारों को संरक्षित करने की आवश्यकता है.
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं के लिए अपने शरीर पर अधिकारहीनता की स्थिति कोरोना वायरस महामारी के कारण और भी ज़्यादा बदतर हुई है. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा है कि महामारी के कारण पिछले वर्ष लिंग आधारित हिंसा में बढ़ोतरी देखी गई और कई देशों में यौन हिंसा को युद्ध की क्रूर युक्ति एवं राजनीतिक दमन के तौर पर इस्तेमाल किया गया.
वैश्विक लैंगिक भेद अनुपात रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशिया में केवल पाकिस्तान और अफगानिस्तान इस सूची में भारत से नीचे हैं. भारत के पड़ोसी मुल्कों में से बांग्लादेश इस सूची में 65, नेपाल 106, पाकिस्तान 153, अफगानिस्तान 156, भूटान 130 और श्रीलंका 116वें स्थान पर हैं.
बढ़ती सामाजिक असमानता के दौर में देश की शीर्ष अदालत का आरक्षण पर सवाल उठाना निराशाजनक है और यह वंचित तबके का न्यायपालिका में भरोसा कम करता है.
एक रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के प्रबंधक ने कहा कि कोविड-19 महामारी से सबसे ज़्यादा और बुरी तरह महिलाएं ही प्रभावित हुई हैं, फिर भी महामारी का मुक़ाबला करने से संबंधित निर्णय प्रक्रिया से महिलाओं को ही व्यवस्थागत तरीके से बाहर रखा जा रहा है.
दिल्ली महिला आयोग ने मीडिया में आई ख़बरों के आधार पर राष्ट्रीय राजधानी के 178 थानों में से एक भी जगह महिला प्रभारी न होने की बात पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. आयोग ने कहा कि पुलिस बल में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के नियम हैं, इसके बावजूद उनकी भागीदारी कम है.